ब्याज दरों में बढ़ोतरी से ही काबू में रहेगी महंगाई
आरबीआई की एमपीसी की सदस्य आशिमा गोयल ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा बार-बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई के प्रयासों से मुद्रास्फीति के अगले साल छह फीसदी से नीचे आने की उम्मीद है. गोयल ने आगे कहा कि रेपो रेट में बढ़ोतरी ने महामारी के दौरान कटौती के रुख को बदल दिया है, लेकिन वास्तविक ब्याज दर अभी भी इतनी कम है कि इससे वृद्धि के पुनरुद्धार को नुकसान नहीं होगा.
रेपो रेट 5.9 फीसदी के रिकॉर्ड लेवल पर
आशिमा गोयल ने कहा कि दो-तीन तिमाहियों के बाद उच्च वास्तविक दरें, अर्थव्यवस्था में मांग को कम कर देंगी. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी के साथ अंतरराष्ट्रीय जिंस कीमतें घट रही हैं और आपूर्ति शृंखला की बाधाएं कम हो गई हैं. आरबीआई ने बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 30 सितंबर को रेपो रेट को बढ़ाकर 5.9 फीसदी कर दिया था. केंद्रीय बैंक ने मई के बाद से प्रमुख उधारी दर में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है.
आपूर्ति के लिए कदम उठा रही सरकार
गोयल ने कहा कि भारत सरकार आपूर्ति पक्ष की मुद्रास्फीति को कम करने के लिए भी कदम उठा रही है. मौजूदा अनुमानों से पता चलता है कि मुद्रास्फीति अगले साल छह फीसदी से नीचे आ जाएगी. सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह जिम्मेदारी दी है कि वह मुद्रास्फीति को दो फीसदी के घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर बनाए रखे. उन्होंने कहा कि आपूर्ति पक्ष के उपायों के साथ मामूली सी बढ़ी हुई वास्तविक ब्याज दर महंगाई को काबू में कर सकती है और इसका वृद्धि पर न्यूनतम असर होगा.
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सितंबर में महंगाई दर 7.41 फीसदी के रिकॉर्ड पर
बता दें कि सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति पांच महीने के उच्च स्तर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई. मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने आरबीआई के लक्ष्य से अधिक है. रुपये की गिरावट के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अधिक मूल्यह्रास से आयात महंगा होता है और उन लोगों को नुकसान पहुंचता है, जिन्होंने विदेशों में उधार लिया है. उन्होंने साथ ही जोड़ा कि इससे कुछ निर्यातकों की आमदनी बढ़ सकती है.
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