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अंतरिम बजट और पूर्ण बजट में अंतर क्या है
अंतरिम बजट और पूर्ण बजट दो अलग-अलग प्रकार के बजट हैं जो सरकार द्वारा तैयार किए जाते हैं और विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाए जाते हैं. ये दोनों ही बजट विभिन्न समयावधियों के लिए होते हैं और उनमें अंतर होता है.
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समय की अवधि
अंतरिम बजट: यह एक स्थायी बजट नहीं होता और सामान्यत: एक वित्तीय वर्ष के पहले आठ महीने के लिए तैयार किया जाता है. इसमें सिर्फ सीमित समय के लिए धन का विनियमित वितरण होता है और इसे बाद में संशोधित किया जा सकता है.
पूर्ण बजट: यह एक स्थायी बजट होता है जो एक पूरे वित्तीय वर्ष के लिए तैयार किया जाता है. इसमें सम्पूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए योजनाएं, आवश्यकताएं, और वित्तीय विवरण होता है.
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वित्तीय विवरण का विस्तार
अंतरिम बजट: इसमें अधिकांश बिना विस्तारित विवरण के होता है, क्योंकि यह केवल एक सीमित समयावधि के लिए तैयार किया जाता है.
पूर्ण बजट: यह बजट सम्पूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए होता है और इसमें सभी सेक्टरों और खागोलिक क्षेत्रों के लिए विस्तृत वित्तीय विवरण शामिल होता है.
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प्रयोजन
अंतरिम बजट: इसका प्रमुख उद्देश्य सरकार को वित्तीय वर्ष की शुरुआत में संचालन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक धन प्रदान करना है और नई योजनाओं को आरंभ करना है.
पूर्ण बजट: इसका प्रमुख उद्देश्य सरकार को संपूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए स्थायी और स्थिर वित्तीय योजना प्रदान करना है जो सभी क्षेत्रों को कवर करती है.
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संसद में जांच और बहस
अंतरिम बजट को संसद में सामान्य जांच और बहस से नहीं गुजरना पड़ता है. इसे वोट-ऑन-अकाउंट के लिए प्रस्तुत किया जाता है, जब तक कि नई सरकार एक व्यापक बजट पेश न कर दे, तब तक आवश्यक व्ययों के लिए मंजूरी मांगी जाती है. जबकि,
पूर्ण बजट: पूरे साल के बजट को संसद के दोनों सदनों द्वारा कठोर जांच, चर्चा और अनुमोदन से गुजरना पड़ता है. इसमें बजट के विभिन्न पहलुओं पर बहस, अनुमोदन से पहले विस्तृत विश्लेषण और संभावित संशोधन की अनुमति शामिल है.
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महत्व और प्रभाव में क्या है अंतर
अंतरिम बजट और पूर्ण बजट का महत्व लगभग एक जैसा है. अंतरिम बजट संक्रमणकालीन अवधि के दौरान वित्तीय स्थिरता बनाए रखता है. इसके बाद, पूर्ण बजट के लिए एक रफ रोडमैप होता है. वहीं, पूर्ण बजट पूरे साल का रोड मैप होता है, जो देश को आर्थिक दिशा और मार्गदर्शन देने का काम करता है. अंतरिम बजट निरंतरता सुनिश्चित करते हैं और राजनीतिक बदलाव के दौरान वित्तीय व्यवधान को रोकते हैं. इसके विपरीत, पूरे साल का बजट आर्थिक विकास, पूंजी निवेश और सामाजिक कल्याण पहलों की रूपरेखा तैयार करता है, जो भारत की प्रगति के लिए आधार तैयार करता है. पूरे साल का बजट अक्सर निवेशकों की भावना को प्रभावित करता है, क्योंकि यह विभिन्न क्षेत्रों और सुधारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह आर्थिक गतिविधियों को चला सकता है और बाजार की उम्मीदों को आकार दे सकता है.
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