आईटीआर-1 और आईटीआर-2 में अंतर
रिटर्न फाइल करने से पहले यह समझना बेहद जरूरी है कि आप आईटीआर-1 भर सकते हैं या आईटीआर-2. ये दोनों फॉर्म वेतनभोगी और पेंशनर्स के लिए होते हैं, लेकिन इनकी उपयोगिता अलग-अलग मामलों में होती है.
आईटीआर-1 (सहज)
- इसे वे टैक्सपेयर्स भर सकते हैं जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये या उससे कम है.
- इनकम के स्रोत सिर्फ सैलरी, पेंशन, वन हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोत (जैसे सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट) होने चाहिए.
- इसमें कैपिटल गेंस, विदेश से इनकम, या डायरेक्टरशिप शामिल नहीं होनी चाहिए.
आईटीआर-2
आईटीआर-2 उन टैक्सपेयर्स के लिए है, जो आईटीआर-1 के दायरे से बाहर हैं, लेकिन बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम नहीं कमा रहे हैं. आईटीआर-2 इस्तेमाल करने के प्रमुख कारण आपकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक है. आपने ऐसे शेयर खरीदे हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं हैं. आप किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं. आपकी कैपिटल गेंस सेक्शन 112ए के तहत 1.25 लाख रुपये से अधिक है. आपके पास विदेश में संपत्ति, बैंक अकाउंट या इनकम है. आपने एक से अधिक हाउस प्रॉपर्टी से इनकम अर्जित की है. आखिरी तारीख का इंतजार न करें, वरना हो गलती सकती है.
15 सितंबर आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख
आमतौर पर आईटीआर फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई होती है, लेकिन इस साल सरकार ने इसे 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया है. टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंतिम समय तक इंतजार करना सही रणनीति नहीं है, क्योंकि अंतिम समय में सर्वर पर लोड बढ़ता है, जिससे पोर्टल स्लो हो सकता है. गलत फॉर्म भरने, या डेटा की मिलान न करने पर गलती होने की संभावना ज्यादा होती है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसी गलतियों पर नोटिस भेज सकता है. समय पर फाइलिंग से रिफंड भी जल्दी मिल सकता है.
रिटर्न फाइल करने के जरूरी दस्तावेज
रिटर्न भरने से पहले कुछ डॉक्युमेंट्स और जानकारियों की जांच करना बहुत जरूरी है, ताकि कोई गलती न हो.
- फॉर्म 26एएस: यह एक समग्र टैक्स स्टेटमेंट होता है, जिसमें टीडीएस, प्रॉपर्टी खरीद, हाई-वैल्यू लेन-देन आदि की जानकारी होती है.
- एआईएस (एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट): यह फॉर्म 26एएस से ज्यादा विस्तृत होता है. इसमें सेविंग अकाउंट से इंटरेस्ट इनकम, डिविडेंड इनकम, रेंटल इनकम, सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री और विदेश से आय और ट्रांजैक्शन शामिल हैं.
- फॉर्म 16: यह आपके नियोक्ता द्वारा दिया जाता है और इसमें आपकी सैलरी, टैक्स कटौती, एचआरए और अन्य विवरण होते हैं. रिटर्न फाइल करते समय फॉर्म 16 का डेटा फॉर्म 26एएस और एआईएस से मेल खाना जरूरी है.
गलती से करने से बचें
कई बार टैक्सपेयर्स बिना समझे आईटीआर-1 भर देते हैं, जबकि उनकी प्रोफाइल आईटीआर-2 की मांग करती है. ऐसा करने पर आयकर विभाग द्वारा नोटिस मिल सकता है और फिर संशोधित रिटर्न भरना पड़ सकता है. इससे आपका समय, मेहनत और कभी-कभी जुर्माना भी लग सकता है.
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सही फॉर्म और समय पर फाइलिंग से बचेगा झंझट
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि आपकी वित्तीय जिम्मेदारी है. सही आईटीआर फॉर्म का चयन, सभी डॉक्युमेंट्स का मिलान और समय पर फाइलिंग से न सिर्फ आप झंझटों से बचते हैं बल्कि टैक्स विभाग से अच्छा रिकॉर्ड भी बनता है. अगर आपकी इनकम प्रोफाइल आईटीआर-1 के दायरे से बाहर है, तो आईटीआर-2 को समय पर और सावधानी से फाइल करें, ताकि आगे कोई परेशानी न हो.
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