जल्द बनेंगी Smart Cities
सरकार वर्तमान में चार अन्य औद्योगिक शहरों में परिवहन, पानी और बिजली की सुविधाओं में सुधार जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना पर काम कर रही है. सिंह के अनुसार, इन आठ शहरों पर पहले से ही काम चल रहा है, साथ ही बजट में उल्लिखित 12 नए औद्योगिक शहरों पर भी काम चल रहा है, जिससे देश भर में ऐसे शहरों की कुल संख्या 20 हो जाएगी. इन शहरों को औद्योगिक स्मार्ट शहर माना जाता है, और बुनियादी ढांचे के स्थापित होने के बाद भूखंड आवंटित किए जाते हैं. पूरे शहर के लिए पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त की जाती है, जिससे कंपनियों के लिए वहां अपना परिचालन शुरू करना आसान हो जाता है.
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GDP बढाना है लक्ष्य
राजेश कुमार सिंह ने बताया कि DPIIT नए शहरों के निर्माण के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी लेने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा कि योजनाएं तैयार हैं, राज्य सरकारों के पास जमीन है और उन्हें बस एसपीवी की मंजूरी की जरूरत है. इसका लक्ष्य जीडीपी में विनिर्माण का योगदान बढ़ाना और अधिक रोजगार सृजित करना है. शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के आशु गुप्ता स्मार्ट औद्योगिक शहरों की पहल को लेकर आशान्वित हैं, उनका मानना है कि इससे राज्य और निजी क्षेत्र के सहयोग से औद्योगिक विकास और शहरी नियोजन को लाभ होगा. गुप्ता का मानना है कि ये परियोजनाएं आर्थिक केंद्र होंगी जो विकास, नवाचार और दीर्घकालिक प्रभाव को बढ़ावा देंगी. सरकार के हालिया बजट में विनिर्माण और निर्यात को समर्थन देने के लिए सीमा शुल्क समायोजन जैसे उपाय भी शामिल हैं.
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