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एक साल में 37 प्रतिशत उछले दाम
दाल की कीमतों में एक साल में बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले साल 28 दिसंबर 2022 को अरहर दाल की औसत कीमत 111.50 रुपये प्रति किलो थी. जो 28 दिसंबर 2023 को 152.38 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गयी है. इसका अर्थ है कि अरहर दाल में एक साल में करीब 37 प्रतिशत का उछाल आया है. इसी तरह उड़द दाल की कीमत 28 दिसंबर 2022 को 107.33 रुपये प्रति किलो थी जो आज 122.46 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है. इससे पहले केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द दाल की स्टॉक लिमिट को घटाने का भी फैसला लिया था. वहीं, पिछले हफ्ते मसूर दाल पर भी सून्य इंपोर्ट ड्यूटी की अवधि को 2025 तक के लिए बढ़ा दिया था.
आयात नीति पर स्थिरता चाहती है सरकार
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि कुछ दालों का उत्पादन उतना नहीं है जितना हम उपभोग करते हैं. आयात नीति की स्थिरता के लिए मसूर पर मौजूदा छूट को मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया गया है ताकि उत्पादक देशों के किसानों को भारत से स्पष्ट संकेत मिल सके और वे अपनी बुवाई की योजना बना सकें. जुलाई, 2021 में मसूर पर मूल आयात शुल्क शून्य कर दिया गया था, जबकि फरवरी, 2022 में 10 प्रतिशत कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर से छूट दी गई थी. तब से, इसे कई बार बढ़ाया गया और वर्तमान में यह मार्च, 2024 तक वैध था. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अधिसूचना केवल मसूर के लिए शून्य शुल्क और कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर की छूट बढ़ाने के लिए है, तीन कच्चे खाद्य तेलों के लिए नहीं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और आयातक देश है. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने 24.96 लाख टन दलहन का आयात किया था.
भारत के आयात में आयी कमी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में भारत का आयात 4.33 प्रतिशत घटकर 54.48 अरब डॉलर रह गया, जबकि नवंबर 2022 में यह 56.95 अरब डॉलर था. देश का व्यापार घाटा नवंबर में 20.58 अरब डॉलर रहा. चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-नवंबर अवधि में निर्यात 6.51 प्रतिशत घटकर 278.8 अरब डॉलर रहा. वहीं, इस अवधि में आयात 8.67 प्रतिशत गिरकर 445.15 अरब डॉलर रहा. वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि वैश्विक मंदी के बावजूद भारत का निर्यात अच्छा रहा है. तेल आयात में गिरावट के कारण इस अवधि में आयात 8.67 प्रतिशत घटकर 445.15 अरब डॉलर रहा. अप्रैल-नवंबर में तेल आयात घटकर 113.65 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल समान अवधि में 139.29 अरब डॉलर था. व्यापार घाटा यानी आयात और निर्यात के बीच का अंतर, अप्रैल-नवंबर में 166.35 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 189.21 अरब डॉलर था. वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियों को देखते हुए भारत का निर्यात अच्छा रहा है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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