भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि पीएम विश्वकर्मा को भुगतान अवसंरचना विकास कोष (PIDF) योजना के तहत शामिल करने और योजना को दो साल का विस्तार देने का निर्णय किया गया है. गवर्नर ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि अब पीआईडीएफ योजना को दो साल की अवधि के लिए यानी 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा योजना की शुरुआत जनवरी, 2021 में की गई थी. इस योजना का मकसद छोटे और कम आबादी वाले शहरी क्षेत्रों (टियर-3 से टियर-6), पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में बिक्री केंद्र (पीओएस), त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकार करने वाले बुनियादी ढांचे की पहुंच स्थापित करना है. मूल योजना के तहत पीआईडीएफ योजना को दिसंबर, 2023 तक तीन साल के लिए लाया गया था.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि टियर-1 और टियर-2 क्षेत्रों में पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों को अगस्त, 2021 में पीआईडीएफ योजना में शामिल किया गया. अगस्त, 2023 के अंत तक योजना के तहत 2.66 करोड़ से अधिक नए टच पॉइंट तैनात किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अब पीआईडीएफ योजना को दो साल के लिए यानी 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है. साथ ही पीआईडीएफ योजना के तहत सभी केंद्रों में पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को शामिल करने का प्रस्ताव है.
शक्तिकांत दास ने कहा कि पीआईडीएफ योजना के तहत लक्षित लाभार्थियों का विस्तार करने का यह निर्णय जमीनी स्तर पर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में रिजर्व बैंक के प्रयासों को बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा कि उद्योग जगत से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर पीआईडीएफ योजना के तहत भुगतान स्वीकृति के उभरते तरीकों, जैसे साउंडबॉक्स डिवाइस और आधार-सक्षम बायोमीट्रिक उपकरण की तैनाती को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है. इससे लक्षित भौगोलिक क्षेत्रों में भुगतान बुनियादी ढांचे की तैनाती में और तेजी आने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी. इसमें कारीगरों को दिए जाने वाले ऋण पर आठ प्रतिशत तक की सब्सिडी देने का प्रस्ताव है. यह योजना कारीगरों को पांच प्रतिशत की बेहद सस्ती ब्याज दर पर बिना किसी गारंटी के तीन लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है.
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