1 अप्रैल से आयकर नियमों में होंगे कई बड़े बदलाव, आपकी जेब पर कितना असर पड़ेगा?

News Tax Rules: 1 अप्रैल से पहले अपनी आय और निवेश का हिसाब लगा लें. नई रिजीम सादगी पसंद करने वालों के लिए ठीक है, लेकिन पुरानी रिजीम बचत को बढ़ावा देती है. RBI और सरकार का मकसद टैक्स सिस्टम को आसान बनाना है, पर आपको अपनी जरूरत के हिसाब से फैसला करना होगा.

By KumarVishwat Sen | March 31, 2025 8:16 PM
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News Tax Rules: 1 अप्रैल 2025 से नए वित्तीय वर्ष (FY 2025-26) की शुरुआत के साथ ही आयकर नियमों में कई अहम बदलाव होने जा रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस के आधार पर ये बदलाव टैक्सपेयर्स की प्लानिंग, बचत और निवेश को प्रभावित करेंगे. ये बदलाव वेतनभोगी वर्ग, व्यवसायियों, निवेशकों और करदाताओं को सीधे प्रभावित करेंगे. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किन-किन नियमों में बदलाव होगा और इसका आप पर क्या असर पड़ेगा.

नई टैक्स रिजीम डिफॉल्ट बनेगी

1 अप्रैल से नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) डिफॉल्ट ऑप्शन होगी. अगर आप पुरानी व्यवस्था (जिसमें 80C, 80D जैसी छूट मिलती है) चुनना चाहते हैं, तो स्पष्ट रूप से ऑप्ट करना होगा. नई रिजीम में 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. 3-6 लाख रुपये की आमदनी पर 5%, 6-9 लाख रुपये की आमदनी पर 10%, 9-12 लाख रुपये की आमदनी पर 15%, 12-15 लाख रुपये की आमदनी पर 20% और 15 लाख रुपये से ऊपर 30% टैक्स लगेगा. स्टैंडर्ड डिडक्शन भी 50,000 रुपये तक रहेगा.

TDS और TCS नियमों में ढील

बजट 2025-26 में स्रोत पर कर कटौती (TDS) और संग्रह (TCS) के नियमों को आसान बनाया गया है. अब 50 लाख से ज्यादा की बिक्री पर 0.1% TCS नहीं कटेगा. साथ ही, जिन्होंने ITR फाइल नहीं किया, उनके लिए हाई TDS रेट का नियम हटाया जा रहा है. इससे छोटे कारोबारियों और आम लोगों को राहत मिलेगी.

कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव

लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है, जिससे शेयर और म्यूचुअल फंड में लंबे निवेश को बढ़ावा मिलेगा. वहीं, शॉर्ट-टर्म गेन्स पर टैक्स रेट 20% तक हो सकता है, जो पहले 15% था.

स्टार्टअप्स और निवेशकों को राहत

स्टार्टअप्स के लिए धारा 80-IAC के तहत टैक्स छूट की समयसीमा 31 मार्च 2030 तक बढ़ाई गई है. साथ ही, IFSC से ली गई जीवन बीमा पॉलिसी पर विदेशी निवेशकों को टैक्स छूट मिलेगी.

पेंशन और सैलरी में लाभ

नियोक्ता की ओर से NPS में योगदान की छूट 10% से बढ़कर 14% हो सकती है. साथ ही, वेतनभोगियों को 12.75 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा, अगर वो नई रिजीम चुनते हैं.

मोटी कमाई करने वालों पर बढ़ सकता है सरचार्ज

अगर आपकी आय एक निश्चित सीमा से अधिक है, तो सरकार सरचार्ज की दरें बढ़ा सकती है. इससे मोटी कमाई करने वाले करदाताओं को अधिक टैक्स चुकाना पड़ सकता है.

किरायेदारों को देना होगा अधिक TDS

अगर आप किराए पर रहते हैं और आपका मासिक किराया 50,000 रुपये से अधिक है, तो आपको अपने मकान मालिक के लिए TDS (5%) काटकर जमा करना होगा.

वरिष्ठ नागरिकों को राहत

सरकार वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) को कुछ अतिरिक्त छूट देने पर विचार कर सकती है, जिससे उनकी कर देनदारी कम हो सकती है.

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आपकी जेब पर असर

आयकर नियमों में ये बदलाव मिडिल क्लास और सैलरीड लोगों के लिए राहत लेकर आएंगे, लेकिन पुरानी रिजीम छोड़ने का मतलब निवेश पर छूट गंवा भी सकते हैं. अगर आप 80C के तहत PPF या ELSS में पैसा लगाता है, तो पुरानी रिजीम चुनना फायदेमंद हो सकता है. वहीं, छोटे बिजनेस वालों को TDS/TCS की कम सख्ती से कैश फ्लो में सुधार होगा.

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