NITI Aayog ने सोमवार को एक नई रिपोर्ट “फ्रॉम बॉरोअर्स टू बिल्डर्स: वुमेन्स रोल इन इंडियाज फाइनेंशियल ग्रोथ स्टोरी” प्रकाशित की. यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में महिलाएं अब पहले से अधिक वित्तीय रूप से जागरूक हो रही हैं और ऋण (Loan) लेने के साथ-साथ अपने क्रेडिट स्कोर (Credit Score) की निगरानी भी कर रही हैं.
महिलाओं में बढ़ रही क्रेडिट जागरूकता
रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 तक लगभग 2.7 करोड़ महिलाओं ने अपना क्रेडिट स्कोर स्वयं मॉनिटर किया, जो 2023 की तुलना में 42% अधिक है. यह दर्शाता है कि महिलाएं वित्तीय निर्णयों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और अपनी वित्तीय स्थिति को समझने व सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं.
रिपोर्ट किसने जारी की?
यह रिपोर्ट नीति आयोग के वुमन एंटरप्रेन्योरशिप प्लेटफॉर्म (WEP), ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) और माइक्रोसेव कंसल्टिंग (MSC) के संयुक्त प्रयास से प्रकाशित की गई है. रिपोर्ट के लॉन्च के दौरान नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम (BVR Subrahmanyam) ने कहा कि सरकार महिला उद्यमियों को वित्तीय संसाधनों तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.
महिला वित्तीय समावेशन को लेकर सरकार की पहल
नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि वित्तीय संस्थानों को महिलाओं की आवश्यकताओं के अनुसार समावेशी वित्तीय उत्पाद तैयार करने की आवश्यकता है. इसके लिए फाइनेंसिंग वीमेन कोलैबोरेटिव (FWC) पहल चलाई जा रही है, जिससे अधिक से अधिक वित्तीय संस्थानों को महिलाओं के वित्तीय समावेशन के इस मिशन में जोड़ा जा सके.
गैर-मेट्रो क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में बड़ा उछाल
रिपोर्ट के मुताबिक, गैर-मेट्रो (Non-Metro) क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा क्रेडिट स्कोर मॉनिटरिंग की संख्या 48% की दर से बढ़ी है, जबकि मेट्रो शहरों (Metro Cities) में यह वृद्धि 30% रही. यह दर्शाता है कि छोटे शहरों और कस्बों की महिलाएं भी अब वित्तीय रूप से सशक्त हो रही हैं और ऋण प्रबंधन में रुचि ले रही हैं.
इसके अलावा, दिसंबर 2024 तक कुल स्व-मॉनिटरिंग (Self-Monitoring) करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 19.43% हो गई, जो 2023 में 17.89% थी.
किन राज्यों में महिलाओं की वित्तीय भागीदारी अधिक?
रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में महिलाओं की सबसे अधिक वित्तीय भागीदारी दर्ज की गई, जो कुल मिलाकर 49% थी.
- दक्षिण भारत में 1.02 करोड़ (10.2 मिलियन) महिलाएं सक्रिय रूप से क्रेडिट स्कोर की निगरानी कर रही हैं.
- उत्तर और मध्य भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में महिला कर्जदारों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
महिलाओं के लिए क्रेडिट स्कोर मॉनिटरिंग क्यों जरूरी है?
- बेहतर वित्तीय स्वतंत्रता: महिलाएं अपने वित्तीय फैसले स्वयं लेने में सक्षम हो रही हैं.
- ऋण प्राप्त करने में आसानी: एक अच्छा क्रेडिट स्कोर होने से उन्हें व्यक्तिगत ऋण, बिजनेस लोन या होम लोन आसानी से मिल सकता है.
- आर्थिक स्थिरता: वित्तीय समझ बढ़ने से महिलाएं बेहतर बचत और निवेश कर सकती हैं.
- महिला उद्यमिता को बढ़ावा: उद्यमिता को अपनाने वाली महिलाओं के लिए ऋण प्रक्रिया सरल बन सकती है.
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