NPS Vatsalya Scheme: अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का भविष्य आर्थिक रूप से सुरक्षित हो, तो उसकी शुरुआत आज से ही होनी चाहिए. भारत सरकार ने बच्चों के लिए बचत और पेंशन की आदत डालने हेतु NPS वत्सल्य योजना शुरू की है, जो कई तरह से लाभकारी है.
क्या है NPS वत्सल्य योजना?
NPS वत्सल्य एक विशेष पेंशन योजना है जिसे नाबालिग बच्चों के लिए तैयार किया गया है. इसे जुलाई 2024 में लॉन्च किया गया. इस योजना के तहत माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चे के नाम से एक PRAN (Permanent Retirement Account Number) खोल सकते हैं. इस खाते में की गई धनराशि को विभिन्न परिसंपत्तियों (assets) जैसे कि गवर्नमेंट बॉन्ड्स, इक्विटी आदि में निवेश किया जाता है जिससे लंबी अवधि में कंपाउंडिंग के जरिए फंड बड़ा बनता है.
बचपन से आदत, बुढ़ापे तक सुरक्षा
इस योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों में बचत की आदत डालना और उनके लिए दीर्घकालीन वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है. जैसे-जैसे निवेश बढ़ता है, बच्चे के भविष्य के लिए एक मजबूत फाइनेंशियल बैकअप तैयार होता है.
निवेश कितना और कैसे?
- न्यूनतम निवेश: ₹1,000 सालाना
- अधिकतम निवेश: कोई सीमा नहीं
- योग्यता: 0 से 18 वर्ष तक के बच्चे
- खाता माता-पिता या कानूनी अभिभावक द्वारा खोला जा सकता है
- इसमें निवेश करना सभी वर्गों के परिवारों के लिए संभव है, और जिनके पास अधिक संसाधन हैं वे ज़्यादा निवेश कर सकते हैं।
क्या मिलेगा लाभ?
इस योजना में 9.15% से 10% तक का वार्षिक औसत रिटर्न मिल सकता है. यह रिटर्न लंबी अवधि के निवेश और बाजार से जुड़े परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए अगर कोई माता-पिता अपने 3 साल के बच्चे के लिए हर महीने ₹15,000 जमा करते हैं और 15 साल तक यह प्रक्रिया जारी रखते हैं, तो जब बच्चा 18 साल का होगा, उसके खाते में लगभग ₹60.24 लाख जमा हो चुके होंगे (10% औसत रिटर्न मानते हुए).
मुश्किल समय में भी काम आए
अगर किसी कारणवश माता-पिता की मृत्यु हो जाती है या परिवार पर आर्थिक संकट आ जाता है, तब भी वत्सल्य योजना में जमा राशि बच्चे के भविष्य को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है इसके अतिरिक्त, योजना में कुछ शर्तों के साथ निकासी (Partial Withdrawal) की भी सुविधा है. 25% तक की निकासी शिक्षा या आपात स्थिति के लिए संभव है और योजना के तहत निवेश राशि पर धारा 80C और 10(10D) के अंतर्गत टैक्स छूट भी मिलती है.
शिक्षा, रिटायरमेंट या मेडिकल – हर जरूरत में काम आए
यह योजना न केवल बच्चे की उच्च शिक्षा में सहायक है, बल्कि भविष्य में रिटायरमेंट, स्वास्थ्य व्यय या किसी भी अनपेक्षित परिस्थिति में यह एक भरोसेमंद सहारा बन सकती है।
क्यों अपनाएं NPS वत्सल्य?
- सरकार समर्थित और सुरक्षित योजना
- कंपाउंडिंग से धन में जबरदस्त वृद्धि
- शिक्षा, शादी, या रिटायरमेंट – हर लक्ष्य के लिए उपयुक्त
- सीमित निवेश में बड़ा लाभ
- टैक्स में छूट और आंशिक निकासी की सुविधा
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RBI Repo Rate: आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिये गये निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया है.’’ उन्होंने बताया, "मौद्रिक नीति समिति ने मौजूदा स्थितियों पर विचार करते हुए रेपो दर में बदलाव नहीं किया." उन्होंने अर्थव्यवस्था में तेजी आने का संकेत दिया है.
#WATCH | Monetary Policy Committee decides to keep the policy repo rate unchanged at 5.5%, neutral stance to continue, says RBI Governor Sanjay Malhotra.
— ANI (@ANI) August 6, 2025
(Video source: RBI/YouTube) pic.twitter.com/dZLo5WjFKj
जीडीपी 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
आरबीआई ने 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि पहले इसके 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था.
फरवरी से अबतक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती
केंद्रीय बैंक इस साल फरवरी से अबतक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है. इस साल जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गयी थी. वहीं फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25-0.25 प्रतिशत की कमी की गयी थी.
क्या होता है रेपो रेट और बदलाव नहीं होने से क्या पड़ेगा प्रभाव ?
रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. रेपो दर के यथावत रहने से आवास, वाहन समेत अन्य खुदरा कर्ज पर ब्याज में बदलाव होने की संभावना नहीं है.
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इतनी संपत्ति अपने पीछे छोड़ गए सत्यपाल
सत्यपाल मलिक की कुल संपत्ति की बात करें, तो उन्होंने 2004 में जब चुनाव लड़ा था, तब उन्होंने अपनी संपत्ति का खुलासा किया था. उस समय उन्होंने चुनावी हलफनामे में बताया था, उनके पास 76 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति थी. जबकि उनके ऊपर 3 लाख रुपये से अधिक की देनदारी थी. उन्होंने हलफनामे में बताया था, उनके और उनकी पत्नी के पास कुल 30 हजार रुपये कैस थे. बैंक में करीब 19 लाख रुपये थे.
सत्यपाल मलिक के पास कितने गोल्ड
सत्यपाल मलिक ने अपने हलफनामे में जो बताया था, उसके अनुसार उन्होंने अपने पीछे 180 ग्राम सोना छोड़ गए हैं. अचल संप्ति की बात करें, तो उन्होंने बताया था, उनके पास 21.2 एकड़ कृषि योग्य भूमि थी. 20 लाख रुपये का घर था. हालांकि पिछले 10 सालों में उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी जरूर हुई होगी. क्योंकि वो पांच राज्यों के राज्यपाल भी रहे.
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[post_title] => Satyapal Malik Net Worth: अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए सत्यपाल मलिक? प्रॉपर्टी और गोल्ड की पूरी जानकारी [post_excerpt] => Satyapal Malik Net Worth: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में दोपहर करीब एक बजकर 12 मिनट में आखिरी सांस ली. वह 79 वर्ष के थे. [post_status] => publish [comment_status] => closed [ping_status] => closed [post_password] => [post_name] => satyapal-malik-net-worth-assets-properties-gold-details [to_ping] => [pinged] => [post_modified] => 2025-08-05 15:56:24 [post_modified_gmt] => 2025-08-05 10:26:24 [post_content_filtered] => [post_parent] => 0 [guid] => https://www.prabhatkhabar.com/?p=3646036 [menu_order] => 0 [post_type] => post [post_mime_type] => [comment_count] => 0 [filter] => raw [filter_widget] => newsnap ) [2] => WP_Post Object ( [ID] => 3645879 [post_author] => 3144 [post_date] => 2025-08-05 09:00:00 [post_date_gmt] => 2025-08-05 03:30:00 [post_content] =>
US Tariff Impact: अमेरिकी टैरिफ की नई धमकी के बाद आज भारतीय शेयर बाजार बुरी तरह गिर गया है. इस खबर से सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों में हड़कंप मच गया है. व्यापार युद्ध बढ़ने की आशंकाओं के बीच वैश्विक बाजारों में भी अनिश्चितता का माहौल है, जिसका सीधा असर घरेलू निवेशकों के विश्वास पर पड़ा है. बाजार खुलते ही बिकवाली का दबाव बढ़ गया और दिन भर गिरावट जारी रही, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं.
टैरिफ धमकी और शेयर बाजार पर असर
हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए नए टैरिफ की धमकी से भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर और अधिक टैरिफ लगाने की चेतावनी ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी. मंगलवार, 5 अगस्त, 2025 को शुरुआती कारोबार में भारतीय शेयर बाजारों में सुस्ती देखी गई.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 199 अंक या 0. 25 प्रतिशत गिरकर 80,819 पर आ गया. कुछ समय बाद यह 315. 03 अंक या 0. 39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,703. 69 अंक पर कारोबार कर रहा था. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, सेंसेक्स 351. 6 अंक गिरकर 80,665. 8 रुपये पर आ गया. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 44. 05 अंक या 0. 18 प्रतिशत गिरकर 24,678. 70 पर आ गया. निफ्टी भी 41. 80 अंक या 0. 17 प्रतिशत फिसलकर 24,680. 95 अंक पर आ गया. सुबह के कारोबार में निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0. 71 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0. 38 प्रतिशत गिरकर कारोबार कर रहे थे.
इससे पहले, 1 अगस्त को भी कमजोर वैश्विक संकेतों और अमेरिकी टैरिफ संबंधी चिंताओं के कारण सेंसेक्स 585 अंक लुढ़ककर 80,599 पर और निफ्टी 203 अंक गिरकर बंद हुआ था.
गिरावट के प्रमुख कारण
बाजार में इस गिरावट के कई कारण सामने आए हैं, जिनमें अमेरिकी टैरिफ धमकी सबसे प्रमुख है. ट्रंप प्रशासन की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत भारत सहित कई देशों पर टैरिफ लगाए गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीद पर नाराजगी जताई है और इसी कारण टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी है. उन्होंने 25% तक टैरिफ और जुर्माने की बात कही है.
इसके अतिरिक्त, विदेशी पूंजी की लगातार निकासी भी बाजार की नकारात्मक भावना को बढ़ा रही है. विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) का रुख भारतीय बाजार के प्रति नकारात्मक रहा है. जुलाई 2025 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से 17,741 करोड़ रुपये की भारी निकासी की, जिससे इस साल कुल निकासी 1. 01 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. यह तीन महीने की लगातार खरीदारी के बाद पहली बड़ी बिकवाली है. अकेले गुरुवार (1 अगस्त) को ही उन्होंने करीब 5,589 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. डॉलर की मजबूती ने भी निकासी को बढ़ावा दिया है, क्योंकि डॉलर इंडेक्स में मजबूती से विदेशी निवेशक अपना पैसा अमेरिका या अन्य मजबूत अर्थव्यवस्थाओं की ओर स्थानांतरित कर रहे हैं.
अन्य कारणों में कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे भी शामिल हैं, जिससे विदेशी निवेशकों की चिंता बढ़ी है. अप्रैल से जून तिमाही में कई कंपनियों का प्रदर्शन उम्मीद से कमजोर रहा, खासकर आईटी और बैंकिंग सेक्टर में सुस्ती देखी गई.
बाजार पर गहराता प्रभाव और सेक्टरवार असर
अमेरिकी टैरिफ की धमकी से बाजार में कई सेक्टरों पर असर पड़ा है. निफ्टी एफएमसीजी सबसे अधिक 0. 55 प्रतिशत नीचे रहा, जबकि निफ्टी बैंक 0. 12 प्रतिशत और निफ्टी आईटी इंडेक्स 0. 25 प्रतिशत नीचे आया.
सेक्टर | प्रभाव |
---|---|
निफ्टी एफएमसीजी | 0. 55% की सबसे अधिक गिरावट |
निफ्टी बैंक | 0. 12% की गिरावट |
निफ्टी आईटी | 0. 25% की गिरावट |
निफ्टी मिडकैप 100 | 0. 71% की गिरावट |
निफ्टी स्मॉलकैप 100 | 0. 38% की गिरावट |
सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले शेयरों में BEL, अडानी पोर्ट्स, इंफोसिस, HDFC बैंक, रिलायंस और सन फार्मा जैसी कंपनियां शामिल रहीं, जिनके शेयरों में 1. 37 प्रतिशत तक की गिरावट आई. वहीं, टॉप गेनर्स की लिस्ट में एक्सिस बैंक, एसबीआई, अल्ट्राटेक सीमेंट, मारुति सुजुकी इंडिया और भारती एयरटेल शामिल रहे, जिनके शेयरों ने 0. 67 प्रतिशत तक की बढ़त हासिल की.
अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ेगा. यदि अमेरिका भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर टैरिफ लगाता है, तो वे उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी. इससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ सकता है और यह डॉलर के मुकाबले कमजोर हो सकता है. कमजोर रुपया आयात को महंगा बनाता है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है और आम आदमी की जेब पर बोझ पड़ सकता है.
पीएल कैपिटल के सलाहकार प्रमुख विक्रम कासट ने कहा, "तकनीकी मोर्चे पर, निफ्टी का 24,956 के उच्च स्तर को पार करना अल्पकालिक गिरावट के रुझान को उलट सकता है, लेकिन तब तक, मंदड़ियों का पलड़ा भारी रहेगा." उन्होंने यह भी कहा कि निफ्टी के लिए तत्काल समर्थन क्षेत्र 24,550 और 24,442 हैं, जबकि प्रतिरोध क्षेत्र 24,900 और 25,000 पर हैं.
विदेशी निवेशकों की भूमिका
भारतीय शेयर बाजार की चाल में विदेशी निवेशकों की भूमिका अहम होती है. हाल के दिनों में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) का रुख बाजार के प्रति नकारात्मक रहा है, जिसका असर बाजार की दिशा पर साफ नजर आ रहा है. पिछले 9 कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने करीब 27,000 करोड़ रुपये की निकासी की है. इस महीने एफपीआई के रुझान में यह बड़ा बदलाव हैरान करने वाला है, जिसने अपने पिछले तेजी के रुख को पलटा है. अप्रैल से जून तक विदेशी निवेशकों ने बाजार में स्थिरता दी थी, लेकिन अब उनका भरोसा डगमगाने लगा है.
एफपीआई की बिकवाली के पीछे कई कारण बताए गए हैं. कमजोर तिमाही नतीजे, डॉलर की मजबूती और अमेरिका की टैरिफ नीति जैसे अंतरराष्ट्रीय हालात निवेशकों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और रूस के साथ संतुलन बनाए रखने की भारत की नीति पर वैश्विक संदेह बढ़ा है, जिससे भारत का "सुरक्षित निवेश स्थल" वाला दर्जा प्रभावित हो सकता है.
मार्केट विशेषज्ञ सुनील सुब्रमण्यम के अनुसार, एफपीआई की बिकवाली के पीछे कई आर्थिक कारण हैं. उन्हें पहले ही आशंका थी कि भारत को ट्रेड डील से विशेष लाभ नहीं मिलेगा. एंजल वन के वरिष्ठ बुनियादी विश्लेषक वकारजावेद खान ने भी कहा कि वैश्विक बाजारों और वृहद घटनाक्रमों के साथ-साथ भारत में नतीजों के सीजन के कारण एफपीआई ने निकासी की है.
सरकार और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ की धमकी का दृढ़ता से जवाब दिया है. भारत ने ट्रंप के टैरिफ लगाने की चेतावनी को "अनुचित" बताया है और अपने आर्थिक हितों की रक्षा करने की कसम खाई है. भारत सरकार का मानना है कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में अमेरिका ने खुद भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में कीमतें स्थिर रह सकें. भारत ने स्पष्ट किया है कि रूस से कच्चे तेल का आयात भारतीय उपभोक्ताओं को उनके सामर्थ्य के अनुसार ईंधन खरीदने की सुविधा देने के लिए है.
वैश्विक व्यापार पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों और अमेरिका की टैरिफ नीति में आ रहे बदलावों के बीच भारत सरकार ने निर्यातकों के हितों की सुरक्षा के लिए एक ठोस रणनीति तैयार की है. भारत ने एक दीर्घकालिक "एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन" लाने का फैसला किया है. यह मिशन भारतीय निर्यातकों को मौजूदा आर्थिक दबावों से राहत देगा और भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित करेगा. वाणिज्य मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के सहयोग से तैयार की जा रही यह योजना सितंबर से लागू की जाएगी.
सरकार ने टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक बहुआयामी रणनीति बनाई है. इस योजना के प्रमुख आयामों में शामिल हैं:
- सस्ता और सुलभ ऋण: निर्यातकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा.
- गैर-टैरिफ बाधाओं से निपटना: अमेरिकी बाजार सहित अन्य देशों में नॉन-टैरिफ बैरियर्स (जैसे क्वालिटी चेक्स, लेबलिंग नॉर्म्स) के समाधान के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे.
- ब्रांड इंडिया को वैश्विक मंच पर लाना: भारत की पहचान एक मजबूत निर्यातक राष्ट्र के रूप में बनाने के लिए "ब्रांड इंडिया" को ग्लोबल मार्केट में प्रमोट किया जाएगा.
- ई-कॉमर्स हब और जिला स्तरीय निर्यात केंद्र: देशभर के जिलों को छोटे निर्यात केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा और अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी की जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को मजबूत करने पर जोर दिया है और लोगों से स्वदेशी सामान खरीदने का आह्वान किया है. सरकार का उद्देश्य केवल तत्काल प्रतिक्रिया देना नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में भारतीय निर्यात को मजबूती देना है ताकि विश्व व्यापार में देश की भूमिका और भी मजबूत हो.
आगे की राह: चुनौतियां और अवसर
अमेरिकी टैरिफ की धमकी ने भारत के सामने तत्काल चुनौतियां और दीर्घकालिक अवसर दोनों पेश किए हैं. एक ओर, निर्यात में कमी, रुपये पर दबाव और कुछ उद्योगों में सुस्ती की आशंका है. लघु एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) विशेष रूप से टैरिफ वृद्धि के प्रति संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनके पास सीमित कार्यशील पूंजी और छोटे मार्जिन होते हैं.
दूसरी ओर, यह स्थिति भारत को अपनी आर्थिक रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन और सुदृढ़ीकरण करने का अवसर भी देती है. भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है और निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है. विश्लेषकों का सुझाव है कि ट्रंप की नीतियां हास्यास्पद तब हो जाती हैं जब वे भारत के व्यापार करने के अधिकार पर अंकुश लगाने की कोशिश करते हैं.
प्रवक्ता. कॉम के ललित गर्ग ने कहा, "ट्रंप का टैरिफ एक चुनौती है, लेकिन भारत की आत्मा में संघर्ष से जीतने का इतिहास है. हमने हर संकट को अवसर में बदला है, और इस बार भी हम यही करेंगे, न केवल अपनी अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन के लिए भी."
मजबूत घरेलू आर्थिक आंकड़े और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक से पहले आशावाद बाजार को तेजी प्रदान कर सकता है. निवेशक अब आरबीआई के फैसले पर भी नजर बनाए हुए हैं, जिससे रेपो रेट में कटौती को लेकर कुछ अहम फैसलों की उम्मीद है. घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) के पास निवेश के लिए पर्याप्त नकद संसाधन उपलब्ध हैं, जो इस गिरावट को एक अवसर में बदल सकते हैं.
वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, भारत के पास व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने और आर्थिक अनुकूलता बढ़ाने का एक अनूठा अवसर है. क्षेत्रीय विकास, तकनीकी प्रगति और क्षेत्रीय व्यापार साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित करके, भारत बदलते वैश्विक परिदृश्य का लाभ उठा सकता है. सतत् विकास, क्षमता निर्माण और नवाचार-संचालित विकास पर रणनीतिक जोर देकर, भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी स्थिति बना सकता है.
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राजस्थान में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन: 5 करोड़ का इनाम और 100 करोड़ का इक्विटी फंड
राजस्थान सरकार राज्य में स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी दिशा में, सरकार ने स्टार्टअप्स को 5 करोड़ रुपये तक का इनाम देने और 100 करोड़ रुपये का इक्विटी फंड स्थापित करने की घोषणा की है. यह पहल राज्य में युवा उद्यमियों को नए और इनोवेटिव विचारों को वास्तविकता में बदलने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक विकास को गति मिलेगी.
पृष्ठभूमि और उद्देश्य
राजस्थान सरकार काफी समय से स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. साल 2015-2020 की राजस्थान स्टार्टअप नीति और 2022 की नई स्टार्टअप नीति इसी का हिस्सा हैं. इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य राज्य में नवाचार को बढ़ावा देना, रोजगार सृजित करना और निवेश के माहौल को बेहतर बनाना है. यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गुजरात भले ही बेस्ट परफॉर्मर राज्यों में शामिल हो, लेकिन टॉप परफॉर्मर राज्यों में राजस्थान का नंबर है. केरल और तेलंगाना के बाद, राजस्थान स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने और नवाचार को आगे बढ़ाने पर तेजी से काम करने वाला तीसरा राज्य है.
यह नई पहल 'इनोवेशन चैलेंज' के तहत की गई है, जिसमें उन स्टार्टअप्स को शामिल किया जाएगा जो लीक से हटकर काम कर रहे हैं. स्टार्टअप्स को यह बताना होगा कि उनके विचार से आर्थिक विकास कैसे होगा और जनहित में इसका कैसे उपयोग किया जाएगा. यह ग्रांट केवल स्टार्टअप को और इनोवेटिव बनाने के लिए ही उपयोग की जाएगी, जिसके लिए कुछ माइलस्टोन भी तय किए गए हैं.
नया इक्विटी फंड और इनाम
राज्य सरकार अब युवाओं के विचारों को उड़ान देने के लिए 100 करोड़ रुपये का इक्विटी फंड बना रही है. यह फंड पात्र स्टार्टअप्स को इक्विटी के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, जिसमें सरकार प्रति स्टार्टअप 5 करोड़ रुपये तक की राशि का मिलान कर सकती है. यह फंड उन स्टार्टअप्स के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा जो विकास के चरण में हैं और जिन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए पूंजी की आवश्यकता है.
इनाम के रूप में 5 करोड़ रुपये तक की राशि उन स्टार्टअप्स को मिलेगी जो इनोवेशन चैलेंज में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे. यह प्रोत्साहन राशि स्टार्टअप्स को नए और मौलिक विचार विकसित करने के लिए प्रेरित करेगी जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान कर सकें.
मौजूदा नीतियां और प्रोत्साहन
राजस्थान सरकार की स्टार्टअप नीति 2022 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं जो स्टार्टअप्स के विभिन्न चरणों को समर्थन देते हैं.
- सीड सपोर्ट: नीति में प्री-सीड और सीड चरणों में स्टार्टअप्स को नए विचार उत्पन्न करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने का लक्ष्य है.
- स्केल-अप फंडिंग: स्टार्टअप्स को उनके प्रदर्शन के आधार पर स्केल-अप फंडिंग भी मिल सकती है.
- अतिरिक्त बूस्टर: नीति में संतुलित और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त बूस्टर भी प्रस्तावित हैं, जिनमें महिला, ट्रांसजेंडर, विशेष रूप से सक्षम संस्थापकों और एससी/एसटी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के संस्थापकों के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं.
इसके अलावा, 'मुख्यमंत्री युवा उद्यम प्रोत्साहन योजना' के तहत युवाओं को 25 लाख से 5 करोड़ रुपये तक का लोन भी दिया जाता है. यह लोन बिना किसी गारंटी के उपलब्ध है, जिसका उद्देश्य राज्य में स्व-रोजगार को बढ़ावा देना है. इस योजना के तहत प्रस्ताव को विस्तृत रूप देने और प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए 15,000 रुपये की आर्थिक मदद भी दी जाती है.
"राजस्थान सरकार की योजनाओं में मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना के तहत महिलाओं को 15% और पुरुष उद्यमियों को 10% मार्जिन मनी अधिकतम 5 लाख रुपये तक ऋण में दी जाएगी."
इनक्यूबेशन सेंटर और कौशल विकास
राज्य में स्टार्टअप्स को सहारा देने के लिए इनक्यूबेशन सेंटर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने जोधपुर और पाली में आई-स्टार्ट नेस्ट इनक्यूबेटर सेंटर का लोकार्पण किया है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देना है. जोधपुर में सरकारी इनक्यूबेशन सेंटर को 13 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है, जिसमें 125 व्यक्तियों के लिए को-वर्किंग स्पेस है.
आई-स्टार्ट नेस्ट, राजस्थान सरकार का इनक्यूबेशन सेंटर, देश का एकमात्र केंद्रीकृत इनक्यूबेटर है जो उभरते स्टार्टअप्स को मुफ्त इनक्यूबेशन प्रदान करता है. यह कार्यक्रम स्टार्टअप्स को मेंटर एंगेजमेंट, तीव्र पुनरावृत्ति चक्र और धन उगाहने की तैयारी के माध्यम से गति प्राप्त करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
राज्य में अन्य प्रमुख इनक्यूबेशन सेंटर और एक्सेलेरेटर भी हैं जो स्टार्टअप्स को फंडिंग, मेंटरशिप और उद्योग कनेक्शन प्रदान करते हैं. इनमें मारवाड़ी कैटेलिस्ट्स, राजस्थान एंजेल इन्वेस्टर नेटवर्क (RAIN), TiE राजस्थान, GCEC इनक्यूबेशन सेंटर, अटल इनक्यूबेशन सेंटर बानस्थली विद्यापीठ, IIM उदयपुर इनक्यूबेशन सेंटर और BITS पिलानी - टेक्नोलॉजी आधारित इनक्यूबेटर शामिल हैं.
"राजस्थान में 89 विश्वविद्यालय संचालित हैं और घर के नजदीक ही शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए निजी सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है."
राजस्थान सरकार ने युवाओं को फ्यूचर रेडी और इंडस्ट्री रेडी बनाने के लिए इंडस्ट्री पार्टनर्स के सहयोग से प्रत्येक संभाग में सेंटर फॉर एडवांस स्किलिंग एंड करियर काउंसलिंग की स्थापना करने की घोषणा की है. इसके साथ ही, आगामी वर्ष 50,000 युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव है. कोटा में विश्वकर्मा स्किल इंस्टीट्यूट की स्थापना 150 करोड़ रुपये की लागत से की जाएगी.
प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
इन पहलों से राजस्थान में एक मजबूत और गतिशील स्टार्टअप इकोसिस्टम बनने की उम्मीद है. 5 करोड़ रुपये का इनाम और 100 करोड़ रुपये का इक्विटी फंड युवा उद्यमियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करेगा. यह न केवल राज्य के भीतर स्टार्टअप्स को बनाए रखने में मदद करेगा बल्कि बाहर से निवेशकों को भी आकर्षित करेगा.
राज्य सरकार एआई पॉलिसी 2025 जैसी नई नीतियों पर भी विचार कर रही है, जिसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, गेमिंग और विजुअल इफेक्ट्स जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में राज्य को अग्रणी बनाना है. इसके क्रियान्वयन के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एआई (सीओई-एआई) की स्थापना की जाएगी, जो स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर नवाचार को गति देगा.
यह नीतियां राज्य में स्व-रोजगार को बढ़ावा देंगी, बेरोजगारी को कम करेंगी और राजस्थान को नवाचार तथा उद्यमिता के केंद्र के रूप में स्थापित करेंगी. विभिन्न क्षेत्रों में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना से विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बहुआयामी लाभ होंगे.
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