आठ साल से अटका है एनएसई आईपीओ
एनएसई का आईपीओ पिछले 8 वर्षों से अटका हुआ है. साल 2016 में एनएसई ने सेबी के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया था. योजना के तहत, मौजूदा शेयरधारकों की 22% हिस्सेदारी बेचकर करीब 10,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य था. हालांकि, कंपनी संचालन और ‘को-लोकेशन’ सुविधा से जुड़ी कुछ नियामकीय चिंताओं के चलते सेबी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी.
क्या है ‘को-लोकेशन’ विवाद?
‘को-लोकेशन’ सुविधा के तहत ट्रेडिंग में शामिल सदस्य अपने सर्वर को एनएसई परिसर में स्थापित कर सकते हैं, जिससे उन्हें बाजार डेटा और ऑर्डर निष्पादन में बेहद तेज पहुंच मिलती है. यह तकनीकी लाभ कुछ ब्रोकरों द्वारा कथित रूप से अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया गया, जिसके चलते एनएसई जांच के दायरे में आ गया. इसी वजह से सेबी ने आईपीओ प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी.
सेबी ने बनाई समिति
सेबी ने मार्च 2024 में एनएसई के आईपीओ प्रस्ताव पर विचार करने के लिए आंतरिक समिति के गठन की घोषणा की थी. सेबी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि एनएसई को सभी नियामकीय मुद्दों को हल करना होगा. तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि “मामला जल्द ही सुलझाया जाएगा. हालांकि, समयसीमा देना अभी संभव नहीं है.”
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देश की 10वीं सबसे बड़ी निजी कंपनी
‘2024 बरगंडी प्राइवेट हुरुन इंडिया’ रिपोर्ट के अनुसार, NSE का मूल्यांकन करीब 4.7 लाख करोड़ रुपये है और यह देश की 10वीं सबसे मूल्यवान निजी कंपनी है. एनएसई का आईपीओ न केवल बाजार के लिए बड़ा इवेंट होगा, बल्कि इससे आम निवेशकों को देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में भागीदारी का मौका भी मिलेगा.
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