Pakistan Budget: बरसों से आर्थिक कंगाली की मार झेल रहे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) काफी मेहरबान दिखाई दे रहा है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से 1 अरब डॉलर की सहायता राशि पर समीक्षा करने की अपील को ठुकराते हुए आईएमएफ ने बेलआउट पैकेज की एक और किस्त जारी कर दी. अब वह पाकिस्तान के सालाना बजट को भी पेश कराएगा. इसके लिए वह पाकिस्तानी अधिकारियों से लगातार बातचीत कर रहा है.
पाकिस्तानी अधिकारियों से आईएमएफ की बातचीत
आईएमएफ ने शनिवार को एक अहम बयान जारी करते हुए कहा है कि उसने पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बजट 2025-26 पर रचनात्मक चर्चा की है. आईएमएफ के मुताबिक, यह बातचीत इस्लामाबाद में 19 मई 2025 से शुरू हुई थी और कई दिनों तक चली.
वार्ता से नहीं निकला कोई अंतिम नतीजा
हालांकि, इन चर्चाओं के बावजूद अभी तक कोई अंतिम समझौता नहीं हो पाया है. इसी वजह से पाकिस्तान सरकार ने बजट की घोषणा 10 जून तक टाल दी है. आईएमएफ का कहना है कि दोनों पक्ष आगे भी इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखेंगे, ताकि आम सहमति तक पहुंचा जा सके.
आईएमएफ का आधिकारिक बयान
आईएमएफ मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर ने बयान में कहा, “हमने अधिकारियों के साथ उनके वित्त वर्ष 2025-26 के बजट प्रस्तावों, व्यापक आर्थिक नीति, 2024 की विस्तारित निधि सुविधा (EFF) और 2025 की लचीलापन एवं स्थिरता सुविधा (RSF) के तहत सुधार एजेंडे पर रचनात्मक चर्चा की है.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आईएमएफ आने वाले दिनों में बजट पर सहमति के लिए चर्चा को आगे बढ़ाएगा.
कर सुधारों और खर्च प्रबंधन पर जोर
आईएमएफ के अनुसार, बातचीत का मुख्य फोकस राजस्व संग्रह बढ़ाने, कर आधार को विस्तारित करने, अनुपालन को मजबूत करने और खर्च की प्राथमिकता तय करने जैसे मुद्दों पर रहा. संगठन का मानना है कि पाकिस्तान को अपने राजकोषीय घाटे को कम करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए इन क्षेत्रों में सुधार लाना बेहद जरूरी है.
पाकिस्तान के लिए IMF की सहमति क्यों है महत्वपूर्ण?
पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जहां विदेशी मुद्रा भंडार, महंगाई और कर्ज जैसे मुद्दे अहम बन गए हैं. ऐसे में आईएमएफ की वित्तीय सहायता और नीतिगत मार्गदर्शन पाकिस्तान के लिए न केवल आर्थिक स्थिरता बल्कि वैश्विक निवेशकों का भरोसा बनाए रखने के लिए भी जरूरी है.
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आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच नहीं हुआ समझौता
हालांकि, फिलहाल IMF और पाकिस्तान के बीच कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ है, लेकिन बातचीत का रचनात्मक होना सकारात्मक संकेत है. आगामी बजट पाकिस्तान की आर्थिक दिशा तय करेगा और IMF के साथ होने वाली अगली बातचीत पर सभी की निगाहें टिकी होंगी.
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