चीन से उधारी
पाकिस्तान का सबसे बड़ा वित्तीय सहयोगी चीन है. वह उसे बराबर पैसा देता रहा है. विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं के माध्यम से उसने पाकिस्तान को खूब पैसा दिया है. 2024 में पाकिस्तान ने चीन से 10 अरब युआन (लगभग 1.4 अरब डॉलर) का अतिरिक्त कर्ज मांगा, जबकि पहले से ही वह 30 अरब युआन की व्यापार सुविधा का इस्तेमाल कर चुका है. हालांकि, चीन ने कई बार कर्ज सीमा बढ़ाने के पाकिस्तान के अनुरोधों को मानने से इनकार कर दिया है.
सऊदी अरब से सहायता
सऊदी अरब ने परंपरागत रूप से पाकिस्तान को भारी वित्तीय सहायता दी है. 2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 20 बिलियन डॉलर के निवेश का वादा किया. हाल के वर्षों में, सऊदी अरब ने सीधे पैसा देने के बजाय निवेश पर ध्यान केंद्रित किया है और वह आईटी, खनिज और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश कर रहा है.
यूएई और कतर से उगाही
यूएई ने 2020 में छोटे और मझोले उद्यमों के लिए 20 करोड़ डॉलर की सहायता दी. कतर भी समय-समय पर वित्तीय सहायता प्रदान करता रहा है. 2019 में सऊदी अरब, यूएई और कतर ने संयुक्त रूप से 16 अरब डॉलर के कर्ज का हिस्सा प्रदान किया.
इसे भी पढ़ें: पटरी पर जल्द दौड़ेगी वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, बंगाल के उत्तरपाड़ा में बनेंगी 80 गाड़ियों की बोगियां
आईएमएफ और विश्व बैंक
आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए 2024 में 7 अरब डॉलर का कर्ज स्वीकृत किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन के लिए 1.3 अरब डॉलर शामिल हैं. विश्व बैंक भी नियमित रूप से आर्थिक विकास के लिए सहायता देता है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को इन देशों और संस्थानों की सहायता से अल्पकालिक स्थिरता मिलती है, लेकिन बढ़ता कर्ज, महंगाई और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी दीर्घकालिक चुनौतियां बनी हुई हैं.
इसे भी पढ़ें: सोने के उछलने से महिलाओं की घबराहट बढ़ी, शादी और त्योहारों के लिए विदेश से करेंगी खरीदारी
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.