कर्जखोर पाकिस्तान ने एडीबी के सामने फिर फैलाया कटोरा, महिला सशक्तिकरण के नाम लेगा कर्ज

Pakistan Loan Deal: कर्ज से जूझ रहे पाकिस्तान ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से 35 करोड़ डॉलर का नया कर्ज लिया है, जो महिला समावेशी वित्त कार्यक्रम के तहत लिया गया है. इसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. पाकिस्तान की बढ़ती कर्ज़दारी और गिरती अर्थव्यवस्था के बीच यह डील चर्चा में है. फिलहाल, पाकिस्तान का कुल कर्ज़ 76,000 अरब रुपये से अधिक हो चुका है, जबकि आर्थिक विकास दर केवल 2.7% रहने का अनुमान है. विशेषज्ञ इसे अस्थिरता की चेतावनी मान रहे हैं.

By KumarVishwat Sen | June 25, 2025 9:16 PM
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Pakistan Loan Deal: कर्ज के जाल में उलझा पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सामने कटोरा लेकर पहुंचा है. इस बार उसने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से 35 करोड़ डॉलर का कर्ज लेने के लिए लोन डील पर हस्ताक्षर किया है. यह लोन डील महिला समावेशी वित्त (डब्ल्यूआईएफ) क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना बताया गया है.

महिलाओं को मिलेगा व्यवसाय और रोजगार का अवसर

पाकिस्तान की सरकार का दावा है कि इस कार्यक्रम के तहत महिलाओं को वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच, व्यवसाय के अवसर और रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे. लोन डील पर पाकिस्तान की ओर से आर्थिक मामलों की अतिरिक्त सचिव सबीना कुरैशी और एडीबी की ओर से दिनेश राज शिवकोटी ने हस्ताक्षर किए.

चार प्रमुख क्षेत्रों में सुधार पर होगा काम

डब्ल्यूआईएफ के तहत लागू किया जाने वाला उप-कार्यक्रम-2 चार सुधार क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगा.

  • महिलाओं के लिए सक्षम नीति और नियामकीय माहौल तैयार करना
  • महिलाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना
  • उद्यमिता क्षमता को मजबूत करना
  • कार्यस्थलों को समावेशी और न्यायसंगत बनाना

सरकारी बयान में कहा गया है कि यह पहल महिलाओं को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का सक्रिय हिस्सा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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कर्ज के बोझ तले दबा है पाकिस्तान

हालांकि, यह लोन महिला सशक्तीकरण के नाम पर लिया गया है, लेकिन आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार पाकिस्तान का कुल कर्ज 76,000 अरब रुपये के पार जा चुका है. चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर महज 2.7% रहने का अनुमान है. आईएमएफ से भी पाकिस्तान ने पहले ही 7 अरब डॉलर के लोन डील पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी दो किस्तें अब तक जारी की जा चुकी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कर्ज से देश की आर्थिक स्वतंत्रता और स्थायित्व दोनों पर गंभीर असर पड़ रहा है.

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