NPCI Guidelines for Banks: बैंक के ऐसे ग्राहक जो डिजिटल लेनदेन के लिए UPI का इस्तेमाल करते हैं. उनके लिए ये बेहद खास खबर है. बताया जा रहा है कि बैंक आपके यूपीआई आईडी को लेकर एक बड़ा फैसला लेने वाला है. इससे लाखों ग्राहकों के थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन जैसे गूगल पे, फोन पे आदि बंद हो सकते हैं.
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अपने नए गाइडलाइन में कहा है कि बैंक और थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन प्रोवाइडर्स ऐसे ग्राहकों के यूपीआई आईडी और उससे जुड़े मोबाइल नंबर की पहचान करें जिन्होंने पिछले एक साल या उससे ज्यादा वक्त से अपने यूपीआई आईडी का इस्तेमाल नहीं किया है. संस्थान ने ऐसे आईडी को बंद करने का निर्देश भी दे दिया है.
NPCI ने कहा है कि सभी टीपीएपी और पीएसपी बैंक उन ग्राहकों की UPI ID और उससे जुड़े मोबाइल नंबर की पहचान करेंगे. इस दायरे में ऐसे यूपीआई आईडी आएंगे जिन्होंने पिछले एक साल में किसी भी तरह का क्रेडिट या डेबिट नहीं हुआ है. ऐसे UPI पर नए साल के बाद से यूजर्स ट्रांजैक्शन नहीं कर पाएंगे. हालांकि, संस्थान से इस बारे में जानकारी नहीं मिली कि बंद यूपीआई को क्या फिर से शुरू किया जा सकता है या नहीं. अगर हां तो उसकी प्रक्रिया क्या हो सकती है.
NPCI ने अपने ताजा आदेश में ऐसे ग्राहकों और यूपीआई आईडी की पहचान के लिए बैंकों और थर्ड पार्टी सेवा प्रदाता कंपनियों को ऐसे UPI ID की पहचान के लिए 31 दिसंबर तक का वक्त दिया है. संस्थान का कहना है कि इस निर्देश का उद्देश्य केवल इतना है कि पैसा गलत व्यक्ति को ट्रांसफर न हो और न ही इनका गलत इस्तेमाल हो.
NPCI का कहना है कि कई बार व्यक्ति मोबाइल नंबर बदलते हैं तो वह उससे जुड़े UPI ID को अलग करना भूल जाता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 90 दिनों तक बंद रहने के बाद वो नंबर अगर किसी दूसरे अलॉट हो जाता है तो गलत ट्रांजेक्शन की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
NCPI ने बैंकों और थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन जैसे गूगल पे, फोन पे आदि को आदेश दिया है कि वो ग्राहक का यूपीआई आईडी बंद करने से पहले उन्हें एसएमएस और ई-मेल करेगी. अगर, इसके बाद भी, ग्राहक इसपर प्रतिक्रिया नहीं देंगे या उस आईडी से लेनदेन नहीं करेंगे तो उसे बंद कर दिया जाएगा.
बता दें कि भारत में हाल के वर्षों में यूपीआई से लेनदेन की लोकप्रियता काफी ज्यादा बढ़ गयी है. NPCI के मुताबिक अगस्त 2023 में देशभर में 10 अरब से अधिक यूपीआई लेनदेन किए गए हैं. ये संख्या लगातार हर महीने बढ़ती जा रही है.
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