PM Modi की उद्योगपतियों से अपील, इस्पात जैसा मजबूत भारत बनाने पर करें काम

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया इस्पात 2025 कार्यक्रम में उद्योगपतियों से इस्पात जैसा मजबूत भारत बनाने की अपील की. उन्होंने कच्चे माल की सुरक्षा, कोयला आयात में कमी और 2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता 30 करोड़ टन तक बढ़ाने पर जोर दिया. स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढांचे में निवेश से इस्पात उद्योग को बड़े अवसर मिलने की संभावना है.

By KumarVishwat Sen | April 24, 2025 3:27 PM
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PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश के उद्योगपतियों से इस्पात जैसा मजबूत भारत बनाने की अपील की है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि उद्योग जगत को मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी से आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा मजबूत भारत बनाने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए. वे देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई में आयोजित इंडिया इस्पात 2025 कार्यक्रम को ‘ऑनलाइन’ संबोधित कर रहे थे.

विकास की रीढ़ है भारत का इस्पात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत को कच्चे माल की सुरक्षा के लिए अपनी वैश्विक भागीदारी को मजबूत करने की जरूरत है. उन्होंने उद्योग से इस्पात उत्पादन बढ़ाने के लिए बिना इस्तेमाल वाली नई खदानों से लौह अयस्क निकालने की शुरुआत करने की भी अपील की. मोदी ने इस्पात को ‘उभरता हुआ क्षेत्र’ बताते हुए इसका उत्पादन बढ़ाने की जरूरत बताई, जो विकास की ‘रीढ़’ है. उन्होंने नई प्रक्रियाओं को अपनाने, नवोन्मेष करने, सर्वोत्तम गतिविधियों का आदान-प्रदान करने और कोयले का आयात कम करने पर भी विचार करने को कहा.

कच्चा माल हासिल करना मुश्किल

प्रधानमंत्री मोदी ने इस्पात उद्योग के प्रतिनिधियों को अपने संबोधन में कहा, ‘‘आइए, हम एक मजबूत, हितकारी बदलावों को तेजी आगे बढ़ाने वाला और इस्पात जैसा सुदृढ़ भारत बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करें.’’ उन्होंने स्वीकार किया कि कच्चा माल प्राप्त करना इस्पात क्षेत्र के लिए एक ‘बड़ी चिंता’ है. उन्होंने सभी से वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने और आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करने की अपील की.

कच्चे माल की सुरक्षा करना बड़ी चिंता

मोदी ने कहा, ‘‘एक बड़ी चिंता कच्चे माल की सुरक्षा है. हम अभी भी निकल, कोकिंग कोयला और मैंगनीज के लिए आयात पर निर्भर हैं. और इसीलिए, हमें वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना चाहिए, आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करना चाहिए और प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.’’ मोदी ने कहा कि कई नई खदानें हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं हो पाया है. उनका उचित और समय पर इस्तेमाल किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने आगाह किया कि ऐसा नहीं होने पर देश और उद्योग दोनों को नुकसान होगा.

कोयले के आयात को कम करना बेहद जरूरी

उन्होंने कहा कि देश को कोयला गैसीकरण (कोयला से गैस बनाना) और कोयला आयात को कम करने के लिए अपने भंडार के बेहतर इस्तेमाल जैसे विकल्पों की भी तलाश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उद्योग को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए और नई प्रक्रियाओं, नये स्तर और नये पैमाने को अपनाना चाहिए.

इस्पात का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य

मोदी ने कहा कि देश का लक्ष्य 2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 30 करोड़ टन करना है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 17.9 करोड़ टन था. साथ ही प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत भी इसी अवधि में वर्तमान 98 किलो से बढ़ाकर 160 किलो करने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि देश 1,300 अरब डॉलर की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन को भी आगे बढ़ा रहा है और शहरों को बड़े पैमाने पर स्मार्ट शहरों में बदलने के लिए व्यापक कार्य चल रहा है.

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रेलवे, रोड और हवाई अड्डे इस्पात उद्योग के लिए बेहतर

मोदी ने कहा के सड़कें, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और पाइपलाइन में विकास की गति इस्पात क्षेत्र के लिए नए अवसर उत्पन्न कर रही है. उन्होंने कहा कि बड़ी परियोजनाओं की बढ़ती संख्या उच्च स्तर के इस्पात की मांग को बढ़ाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत और चंद्रयान मिशन में इस्तेमाल किया गया इस्पात स्थानीय स्तर पर विनिर्मित किया गया था.

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