पीपीएफ क्या है?
पीपीएफ को पहली बार 1968 में भारत में लागू किया गया था. इसका उद्देश्य निवेश और रिटर्न के लिए छोटे योगदान जुटाना था. इसे निवेश के तौर पर भी देखा जा सकता है, जो सालाना टैक्स को कम करते हुए रिटायरमेंट फंड को जमा करने में सक्षम बनाता है. टैक्स को कम करने और गारंटीड बेनिफिट हासिल करने के लिए सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश करने वाला कोई भी व्यक्ति पीपीएफ खाता खोलकर सरकार की इस बचत योजना में निवेश सकता है. सबसे बड़ी बात है कि इससे मिलने वाले रिटर्न और ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है.
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पीपीएफ में निवेश के फायदे
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीपीएफ में निवेश करना जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए बेहतरीन निवेश विकल्पों में से एक है. पीपीएफ सरकार की योजना है और इसमें किए गए निवेश का बाजार से कोई संबंध नहीं है. यह सुरक्षित निवेश के लिए लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए गारंटीड रिटर्न देता है. पीपीएफ खाते निवेशक के पोर्टफोलियो में विविधता लाते हैं, क्योंकि उनका रिटर्न निश्चित होता है. वे टैक्स बचत के लाभ भी देते हैं.
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पीपीएफ की गणना का क्या है फॉर्मूला
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई आदमी पीपीएफ में 15 साल के लिए 7.1 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर निवेश करता है और वह हर साल 1,50,000 रुपये का निवेश करता है, तो मैच्योरिटी अमाउंट क्या होगी? इसे जानने के लिए इसके फॉर्मूले को जानना भी जरूरी है. पीपीएफ रिटर्न की गणना करने का फॉर्मूला F = P [({(1+i) ^n} -1)/i] है. इसे समझने के लिए इन अक्षरों का मतलब जानना भी जरूरी है. आपको बता दें कि फॉर्मूले में इस्तेमाल किया गया अक्षर एफ (F) मैच्योरिटी पर कुल राशि को बताता है. वहींख् पी (P) वार्षिक किश्तों में भुगतान की गई राशि को दिखाता है. आई (i) ब्याज दर बताता है और एन (n) सालों की कुल संख्या (15 वर्ष) को दर्शाता है.
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पीपीएफ कैलकुलेटर का कैसे करें इस्तेमाल
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीपीएफ कैलकुलेटर निवेश की गई राशि और अवधि के आधार पर रिटर्न का अनुमान देकर आपके वित्तीय लक्ष्य की योजना बनाने में मदद करता है. कैलकुलेटर एक मानक प्रक्रिया के रूप में कुल रिटर्न की गणना करने के लिए 15 साल के कार्यकाल और प्रचलित ब्याज दर का इस्तेमाल करता है.
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