प्रेमानंद महाराज की कितनी संपत्ति है? कौन सा घर, कार, मोबाईल फोन है उनके पास, जानिए सब कुछ

Premanand Ji Maharaj Networth: प्रेमानंद महाराज को चाहने वाले की कोई कमी नहीं है, देश से लेकर विदेश तक उनके भक्त है. प्रेमानंद महाराज को काफी प्रसिद्धी मिली है. जब उनके चाहने वाले इतने है, पॉपुलारिटी इतनी ज्यादा है तो संपत्ति भी काफी होगी. ऐसे में आइयें डालें उनकी संपत्ति पर एक नजर.

By Shailly Arya | July 5, 2025 9:24 AM
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Premanand Ji Maharaj Networth: प्रेमानंद महाराज के पास कितनी संपत्ति है हर भक्त जानना चाहते है, इ आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है उनकी संपत्ति, उनका घर, कार सारी डिटेल्स.

मशहूर कथावाचक प्रेमानंद महाराज जी से एक बार एक भक्त ने पूछा था कि महाराज जी आपके पास कितनी दौलत है. इस सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद जी ने कहा था कि उनके पास 10 रुपए भी नहीं है, अगर कोई उनसे 10 रुपए भी मांग ले थे तो उनके पास नहीं रहता है कि वो किसी को दे सकें.

प्रेमानंद महाराज जी की संपत्ति

रिपोर्टस के अनुसार, प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि उनके पास कोई निजी संपत्ति नहीं है, किसी भी तरह की कोई अचल संपत्ति नहीं है. महाराज जी पूरी तरह से एक संत का जीवन जीते हैं और किसी भी संपत्ति के मालिक नहीं हैं. प्रेमानंद महाराज जी का कोई निजी बैंक अकाउंट भी नहीं है.

प्रेमानंद महाराज के पास कोई घर नहीं

प्रेमानंद महाराज के पास अपना घर भी नहीं है. जानकारी के अनुसार, वह एक भक्त के फ्लैट में रहते हैं जहां उनके रहने और खाने का देखभाल होता है. उस घर का बिजली बिल भी उनके भक्त ही चुकाते हैं.

प्रेमानंद महाराज का कौन सा कार

प्रेमानंद महाराज को वैसे तो पैदल यात्रा करते हुए अक्सर देखा जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि वो कार में नहीं बैठते है, कई बार वो एक ऑडी कार में भी बैठे दिख जाते हैं.
इसको लेकर के प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया था है कि यह उनकी कोई निजी कार नहीं है. यह कार उनके कार सेवकों की है, जो उनके यात्रा के लिए इस्तेमाल होता हैं.

मोबाइल फोन

रिपोर्टस के मुताबिक, प्रेमानंद महाराज के पास कोई मोबाइल फोन नहीं है. उन्‍हें मोबाइल चलाना भी नहीं आता है.

महाराज की कैसे आध्यात्म की ओर बढ़े

प्रेमानंद महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है. उनका जन्‍म 1969 में कानपुर के सरसौल ब्‍लॉके अखरी गांव में हुआ था. प्रेमानंद महाराज अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के एक स्‍कूल से कर रहे थे. लेकिन पांचवीं कक्षा से उनका रुझान आध्‍यात्‍म की ओर बढ़ने लगा. इसके बाद 9वीं कक्षा में आते आते उन्होनें सांसारिक मोह माया त्‍याग कर आध्‍यात्मिक मार्ग पर चल पड़े औ आज देश विदेश के लोग उनके दर्शन करने आते है.

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