RBI Guidelines: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल बैंकिंग सेवाओं में उपभोक्ता सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से नया मसौदा निर्देश जारी किया है. ‘भारतीय रिजर्व बैंक (डिजिटल बैंकिंग चैनल अथॉराइजेशन) निर्देश, 2025’ शीर्षक वाले इस मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि बैंकों के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर थर्ड पार्टी उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन प्रतिबंधित किया जाएगा.
केवल आरबीआई की मंजूरी से दिखा सकेंगे थर्ड पार्टी सेवाएं
आरबीआई के मसौदे में कहा गया है कि प्रवर्तक समूहों या बैंक समूह संस्थाओं (जैसे- सहायक कंपनियां, संयुक्त उद्यम आदि) की सेवाएं भी तभी डिजिटल चैनलों पर प्रदर्शित की जा सकेंगी, जब उन्हें आरबीआई से पूर्व स्वीकृति प्राप्त हो. इससे ग्राहकों को अनचाहे उत्पादों की पेशकश से बचाने का प्रयास किया गया है.
ग्राहकों की सहमति और लेनदेन नियंत्रण अनिवार्य
आरबीआई ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि डिजिटल बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए ग्राहकों से स्पष्ट और पूर्व सहमति प्राप्त की जाए. यह सहमति रिकॉर्ड में रखी जानी चाहिए. साथ ही, किसी ग्राहक को डेबिट कार्ड या किसी अन्य सेवा के लिए कोई डिजिटल चैनल अपनाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
सभी नेटवर्क पर मोबाइल बैंकिंग की सुविधा आवश्यक
मसौदे के अनुसार, मोबाइल बैंकिंग सेवाएं (मोबाइल ऐप के अतिरिक्त) सभी मोबाइल नेटवर्क यूजर्स के लिए उपलब्ध होनी चाहिए. यानी यह सेवा नेटवर्क से स्वतंत्र होनी चाहिए, ताकि उपभोक्ता भेदभाव से बच सकें.
धोखाधड़ी नियंत्रण के लिए निगरानी सिस्टम
बैंकों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने ग्राहकों के लेनदेन व्यवहार का विश्लेषण करें और असामान्य व्यवहार की पहचान कर रोकथाम की व्यवस्था करें. इसके लिए उन्हें धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति के तहत निगरानी तंत्र विकसित करना होगा.
लेनदेन सीमा और नियंत्रण बैंक की जिम्मेदारी
आरबीआई ने यह भी कहा है कि बैंकों को अपने जोखिम मूल्यांकन के अनुसार लेनदेन की सीमा (जैसे – दैनिक, मासिक या प्रति लेनदेन) तय करनी चाहिए. इसके साथ ही धोखाधड़ी रोकने के लिए उपयुक्त नियंत्रण और निगरानी प्रणाली होनी चाहिए.
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आरबीआई की पूर्व स्वीकृति होगी जरूरी
अगर कोई बैंक लेनदेन बैंकिंग सुविधा शुरू करना चाहता है, तो उसे पहले अपने निदेशक मंडल के प्रस्ताव के साथ आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय में आवेदन करना होगा. यह अनुमति केवल तय पात्रता मानकों को पूरा करने पर ही दी जाएगी. आरबीआई का यह नया प्रस्ताव डिजिटल बैंकिंग को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और उपभोक्ता-केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह ग्राहकों को अवांछित विपणन से बचाएगा और बैंकों की जिम्मेदारी भी तय करेगा.
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