आरबीआई ने होम लोन की दरों को किया महंगा, रेपो रेट में की गई 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी

रेपो रेट में बढ़ोतरी के फैसले का ऐलान करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जिंसों और वित्तीय बाजारों में कमी और अस्थिरता के हालात और गंभीर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने उदार रूख को वापस लेने के इरादे की घोषणा की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2022 2:53 PM
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मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अचानक लिये गए फैसलों में नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में इजाफा कर दिया है. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में फिलहाल करीब 0.40 फीसदी बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही, रेपो रेट बढ़कर करीब 4.40 फीसदी पर पहुंच गई. रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद होम लोन महंगे हो जाएंगे.

रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव की वजह से महंगाई बढ़ रही है. इसलिए आरबीआई ने महंगाई को काबू में करने के लिए अनियत नीतिगत समीक्षा में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करने का फैसला किया है.

रेपो रेट में बढ़ोतरी के फैसले का ऐलान करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जिंसों और वित्तीय बाजारों में कमी और अस्थिरता के हालात और गंभीर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने उदार रूख को वापस लेने के इरादे की घोषणा की थी.

भू-राजनीतिक तनाव से बढ़ रही महंगाई

उन्होंने कहा कि आरबीआई ने महंगाई को काबू में करने के लिए अनियत नीतिगत समीक्षा में मानक ब्याज दर में 40 आधार अंकों की वृद्धि कर 4.40 फीसदी करने का निर्णय लिया. आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बिना तय कार्यक्रम के आयोजित बैठक के बाद कहा कि भू-राजनीतिक तनाव की वजह से महंगाई बढ़ रही है.

एमपीसी में सर्वसम्मति से किया गया फैसला

गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तत्काल प्रभाव से रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की वृद्धि के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया है. उन्होंने कहा कि रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के पीछे का मकसद मध्यम अवधि में आर्थिक वृद्धि संभावना को मजबूत और सुदृढ़ करना है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक रुख अब भी नरम बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात को 0.5 फीसदी बढ़ाकर 4.50 फीसदी किया, जो 21 मई से लागू होगा.

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डगमगा रहा है वैश्विक पुनरुद्धार

उन्होंने कहा कि वैश्विक पुनरुद्धार डगमगा रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर से अधिक के ऊंचे स्तर पर बना हुआ है. लोन से जीडीपी निचले स्तर पर है. उन्होंने कहा कि मार्च 2022 में हेडलाइन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में 7 फीसदी की तेजी खाद्य मुद्रास्फीति से प्रेरित थी. मार्च के महीने में 12 में से 9 खाद्य उपसमूहों में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई.

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