फ्रॉड के शिकार ग्राहकों की शिकायत नहीं सुनते बैंकों के कर्मचारी, आरबीआई ने संवेदनहीनता पर जताई चिंता

RBI Strict On Fraud: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने बैंकों की शिकायत निवारण प्रणाली में संवेदनहीनता पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि तकनीक बढ़ी है, लेकिन कर्मचारियों में सहानुभूति की कमी है, जिससे ग्राहक निराश हो रहे हैं. डिजिटल धोखाधड़ी, खराब सेवा और कमजोर प्रतिक्रिया प्रणाली से ग्राहक परेशान हैं. उन्होंने बैंक कर्मचारियों से संवेदनशीलता, ईमानदारी और जवाबदेही अपनाने की अपील की है ताकि बैंकिंग व्यवस्था में लोगों का भरोसा बना रहे.

By KumarVishwat Sen | July 22, 2025 6:30 PM
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RBI Strict On Fraud: देश में सरकार और प्राइवेट बैंकों के कर्मचारी साइबर क्रिमिनल्स द्वारा फ्रॉड का शिकार होने वाले ग्राहकों की शिकायत नहीं सुनते हैं. उनमें संवेदनहीनता बढ़ती है. बैंकों के कर्मचारियों की इस संवेदनहीनता पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चिंता जाहिर की है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहकों के साथ व्यवहार को लेकर गहरी सख्त चिंता जताई है. उन्होंने बैंक कर्मचारियों में सहानुभूति की कमी को एक गंभीर समस्या बताया और कहा कि यह केवल तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि भरोसे और मानवीय जुड़ाव की कमी है.

डिजिटल युग में ग्राहक बेहाल

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन ने राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान (एनआईबीएम) के कार्यक्रम में कहा कि ऑटोमेशन तो बढ़ गया है, लेकिन ऑनरशिप घट गया है. ग्राहक ‘अंतहीन ईमेल्स और हेल्पलाइन नंबरों’ के जाल में उलझे रहते हैं, जिससे उनकी समस्याएं और अधिक जटिल हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि ग्राहक केवल सेवा नहीं चाहते, उन्हें सुनने और समझने की जरूरत है.

धोखाधड़ी और सोशल इंजीनियरिंग से बढ़ रही शिकायतें

डिप्टी गवर्नर के अनुसार, डिजिटल माध्यमों से धोखाधड़ी, सोशल इंजीनियरिंग और कमजोर शिकायत निवारण प्रणाली ने ग्राहकों को निराश किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि समस्या अक्सर उत्पाद या सेवा नहीं होती, बल्कि मानव व्यवहार की संवेदनहीनता होती है.

केवल ऐप नहीं, असली बैंकर बनें

स्वामीनाथन ने बैंक कर्मचारियों को याद दिलाया कि एक ऐप ट्रांजैक्शन कर सकता है, लेकिन भरोसा केवल इंसान ही बना सकता है. उन्होंने कहा कि एक सच्चा बैंकर वह होता है, जो तेजी से निर्णय ले, असफलताओं से सीखे और ग्राहक से जुड़कर काम करे. सहानुभूति, जिज्ञासा और ईमानदारी यही तीन गुण एक बेहतर बैंकिंग प्रोफेशनल की पहचान हैं.

छात्रों को दी चेतावनी और प्रेरणा

इस कार्यक्रम में बैंकिंग के दो वर्षीय स्नातकोत्तर कोर्स के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य की बैंकिंग जटिल होती जा रही है. साइबर खतरे, डीपफेक, कृत्रिम पहचान, और थर्ड पार्टी रिस्क जैसे नए संकट उभर रहे हैं. उन्होंने छात्रों से कहा कि अनिश्चितताओं को स्वीकार करना और उनसे सीखना ही उन्हें विशिष्ट बनाएगा.

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सेवा भावना को फिर जगाने का वक्त

आरबीआई डिप्टी गवर्नर का यह संबोधन केवल छात्रों के लिए नहीं, बल्कि पूरे बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक जागरण का आह्वान है. ग्राहक की समस्या को सिर्फ टिकट नंबर नहीं, बल्कि एक विश्वास का मौका समझना होगा. अगर बैंकिंग को भरोसे की संस्था बनाए रखना है, तो कर्मचारियों को तकनीकी दक्षता के साथ-साथ संवेदनशीलता भी अपनानी होगी.

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