सरकार का बड़ा कदम! भारत बनेगा एक्सपोर्ट फ्रेंडली इकोनॉमी, नियामकीय बोझ होगा कम

Regulatory Reforms in India: भारत सरकार ने 2025-26 के बजट में नियामकीय बोझ कम करने और कारोबार सुगमता बढ़ाने के लिए बड़े सुधारों की घोषणा कर दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन बदलावों से निवेश, स्टार्टअप और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा.

By KumarVishwat Sen | March 4, 2025 11:00 PM
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Regulatory Reforms in India: भारत सरकार कारोबार को आसान बनाने और देश को वैश्विक निर्यात केंद्र बनाने के लिए बड़े कदम उठा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को एक वेबिनार में कहा कि सरकार नियामकीय बोझ कम करने और व्यवसायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. यह कदम घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा और भारत की अर्थव्यवस्था को गति देगा.

व्यवसायों के लिए बड़ी राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार अनावश्यक नियामकीय बाधाओं को हटाकर एक सुगम और विश्वसनीय कारोबारी माहौल तैयार कर रही है. उन्होंने बताया कि अब कंपनियां कम कागजी कार्रवाई और दंड के बजाय नवाचार और विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी.

  • 100 से अधिक कानूनी प्रावधान होंगे अपराधमुक्त: व्यापार कानूनों में 100 से अधिक प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटाने के लिए सरकार जन विश्वास विधेयक-2 लाने वाली है.
  • 3,700 से अधिक कानूनी प्रावधान हुए समाप्त: 2014 के बाद से अब तक 42,000 से अधिक अनुपालन आवश्यकताओं को हटाया गया है और 3,700 से अधिक कानूनों को अपराधमुक्त किया गया है.
  • बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश: सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए 15.48 लाख करोड़ रुपये के प्रभावी पूंजीगत व्यय का प्रस्ताव रखा है, जिससे नौकरियों और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

पीएम मोदी का उद्योग जगत को आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपतियों से ‘बड़े कदम’ उठाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि भारत को अब सिर्फ दर्शक नहीं रहना चाहिए, बल्कि वैश्विक अवसरों का लाभ उठाकर उत्पादन और निर्यात को मजबूत करना चाहिए.

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क्या होगा असर?

सरकार के ये कदम निवेशकों और उद्यमियों के लिए राहत भरे हैं. भारत अब कम नियम-कानून, अधिक व्यापारिक अवसर और मजबूत बुनियादी ढांचे की ओर बढ़ रहा है. इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और भारत एक निर्यात-अनुकूल अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा.

  • कारोबार सुगमता बढ़ेगी, जिससे छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को फायदा मिलेगा.
  • नए निवेश और स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा.
  • निर्यात में तेजी आएगी, जिससे भारत एक वैश्विक व्यापारिक हब बनेगा.
  • बड़े बुनियादी ढांचे के निवेश से नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे.

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