7,00,000 रुपये तक कोई टैक्स नहीं
वित्त मंत्रालय ने प्रावधान को समझाते हुए कहा कि नई कर व्यवस्था के तहत यदि किसी करदाता की वार्षिक आय 7,00,000 रुपये रुपये है, तो उसे कोई कर अदा नहीं करना होता है, लेकिन यदि आय 7,00,100 रुपये है, तो इस पर 25,010 रुपये का कर देना पड़ता है. 100 रुपये की इस अतिरिक्त आय की वजह से करदाताओं को 25,010 रुपये का कर देना पड़ता है. इसीलिए मामूली राहत देने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि व्यक्ति जो कर अदा करे, वह 7,00,000 रुपये की कर मुक्त आय से बढ़ी हुई आय से अधिक नहीं होना चाहिए. उपरोक्त मामले में 7,00,000 रुपये से अधिक आय 100 रुपये है, इसलिए कर भी इतनी ही राशि पर लगना चाहिए.
टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए वित्त विधेयक में संशोधन
नांगिया एंडरसन एलएलपी में साझेदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि वित्त विधेयक में संशोधन उन व्यक्तिगत करदाताओं को कुछ राहत देने के लिए किया गया है, जिनकी आय कर मुक्त आय से मामूली रूप से अधिक है. वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में घोषणा की गई थी कि नई कर व्यवस्था को अपनाने वाले करदाता जिनकी वार्षिक आय 7,00,000 रुपये तक है, उन्हें कर नहीं देना होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वेतनभोगी श्रेणी के करदाताओं को नई कर व्यवस्था अपनाने को प्रेरित करने के लिए उठाया गया. नई कर व्यवस्था में निवेश पर कोई छूट नहीं दी जाती है.
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किसे मिलेगी राहत
अब सरकार ने वित्त विधेयक में संशोधन के जरिए इन करदाताओं को और कुछ और राहत देने का मन बनाया है. हालांकि, करदाता 7,00,000 रुपये से कितनी अधिक आय होने पर इस राहत के लिए पात्र होंगे, इसका उल्लेख सरकार ने नहीं किया है. कर विशेषज्ञों ने गणना के हिसाब से बताया है कि व्यक्तिगत करदाता जिनकी आय 7,27,777 रुपये तक होगी, उन्हें इसका प्रावधान का लाभ मिल सकता है.
भाषा इनपुट के साथ
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