किस बैंक पर कितना लगा जुर्माना
रिजर्व बैंक ने चारों बैंकों में दिशानिर्देश का पालन नहीं करने के अलग-अलग मामलों को लेकर जुर्माना लगाया है. अगर, अब भी बैंक नियमों का पालन नहीं करते हैं तो जुर्माना और प्रतिबंध लगाया जा सकता है. शीर्ष बैंक ने अपने आदेश में बारामती सहकारी बैंक और बेचराजी नागरिक सहकारी बैंक पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना, जबकि, वाघोडिया शहरी सहकारी बैंक और वीरमगाम मर्केंटाइल सहकारी बैंक पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्मान लगाया गया है. हालांकि, बैंक के ग्राहकों को पर इसका कोई असर नहीं होगा. जुर्माना की राशि का भुगतान बैंक को अपने पास से करना होता है. इसमें खाता खुलवाने वाले को इससे पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. बैंक तय समय में अपनी राशि का भुगतान करेंगे.
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अतिरिक्त नियामकीय जरूरतों को करना होगा पूरा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, बजाज फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस और टाटा संस जैसी 15 बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) अतिरिक्त नियामकीय व्यवस्था के अधीन होंगी. केंद्रीय बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को विभिन्न स्तर में वर्गीकृत किया है. ये श्रेणियां हैं- आधार स्तर (NBFC-BL), मध्यम स्तर (NBFC-ML), उच्च स्तर (NBFC-UL) और शीर्ष स्तर (NBFC-TL). उच्च श्रेणी में आने वाली पंद्रह शीर्ष गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की सूची जारी की गयी है. एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, बजाज फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस और टाटा संस के अलावा, सूची में अन्य एनबीएफसी में एलएंडटी फाइनेंस, पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस, चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी शामिल हैं. इसके अलावा, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज, टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, आदित्य बिड़ला फाइनेंस, मुत्थूट फाइनेंस और बजाज हाउसिंग फाइनेंस भी इस सूची में शामिल हैं.
इस हिसाब से अपग्रेड हुआ लिस्ट
आरबीआई के अनुसार, अंक पद्धति के अनुसार एनबीएफसी-यूएल के रूप में पात्र होने के बावजूद टीएमएफ बिजनेस सर्विसेज लिमिटेड (पूर्व में टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड) को वर्तमान समीक्षा में इस सूची में शामिल नहीं किया गया है. इसका कारण कंपनी में जारी कारोबार पुनर्गठन है. उच्च श्रेणी में एनबीएफसी को उनकी संपत्ति के आकार और अंक पद्धति के अनुसार पहचानने के लिये एक निर्धारित व्यवस्था है. पैमाना आधारित विनियमन (एसबीआर) के संदर्भ में एनबीएफसी के लिये एक संशोधित नियामकीय व्यवस्था अक्टूबर, 2021 में जारी की गई थी. इसके तहत एक बार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को एनबीएफसी-यूएल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो यह बढ़ी हुई नियामकीय आवश्यकता के अधीन आ जाएगी. यह इसके वर्गीकरण से कम से कम पांच साल की अवधि के लिये होगा.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.