नई कर व्यवस्था के तहत कितना स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन
इससे पहले 3 से 6 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर 5 फीसदी टैक्स देना पड़ता था. सरकार ने इसकी लिमिट में 1 लाख रुपये बढ़ाकर 3 से 7 लाख रुपये कर दिया है. इसका मतलब यह है कि अब नौकरी-पेशा लोगों को 3 से 7 लाख रुपये तक की आमदनी पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा. वहीं, सरकार ने इनकम टैक्स में स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट को भी 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने नई कर व्यवस्था के तहत नौकरी-पेशा लोगों को 1.75 लाख रुपये तक का फायदा दिया है. यानी जिसकी सालाना आमदनी 7.75 लाख रुपये तक होगी, उन्हें टैक्स नहीं देना होगा.
7.75 लाख की सालाना कमाई पर कैसे नहीं लगेगा टैक्स
सरकार की ओर से की गई घोषणा के अनुसार, नई कर व्यवस्था के तहत 3 से 7 लाख रुपये की सालाना आमदनी पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा. वहीं, 7 से 10 लाख रुपये तक की आमदनी पर 10 फीसदी, 10 से 12 लाख की आमदनी पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख की आमदनी पर 20 फीसदी और 15 लाख से ऊपर की आदमनी पर 30 फीसदी इनकम टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा. अब मान लीजिए कि किसी की सालाना आमदनी 7.75 लाख रुपये है, तो उसे टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इसका कारण यह है कि सरकार ने स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन लिमिट को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये तक कर दिया है. इस लिहाज से देखेंगे, तो 7.75 लाख रुपये की आमदनी पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स की रकम 38,750 रुपये बनती है, जबकि उस व्यक्ति को 75,000 रुपये के टैक्स डिडक्शन का फायदा दिया गया है. इसका अर्थ यह हुआ कि 7.75 लाख रुपये की आमदनी पर भी किसी को टैक्स नहीं देना होगा.
पुरानी कर व्यवस्था में 10 लाख पर कितना लगता टैक्स
पुरानी कर व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता है. इसके बाद 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर 5 फीसदी, 5 से 10 लाख रुपये की आमदनी पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. सरकार ने बजट में पुरानी कर व्यवस्था में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. अब पुरानी कर व्यवस्था में 10 लाख रुपये तक की आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स बचाने के लिए टैक्स सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स पर छूट दी जाती है. वे कौन-कौन से हैं, जिन पर छूट मिलती है.
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पुरानी कर व्यवस्था में 10 लाख की आमदनी पर कैसे मिलेगी छूट
पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकरदाताओं को स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन के तहत 50,000 रुपये तक की छूट दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी की सालाना आमदनी है, तो उसे 9.5 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा. अगर वह व्यक्ति पीपीएफ, ईपीएफ और एनएससी जैसी बचत योजनाओं में निवेश करता है, तो उसे आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की छूट दी जाती है. यानी 10 लाख की आमदनी पर बचत योजनाओं में निवेश और स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर 2 लाख रुपये तक की छूट मिलेगी. अब अगर 10 लाख की आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स का हिसाब निकालेंगे, तो टैक्स की रकम 2 लाख रुपये आती है. यानी स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन और बचत योजनाओं में निवेश करने पर 10 लाख की आमदनी पर भी टैक्स नहीं देना होगा.
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