SEBI चीफ की खतरे में पड़ सकती है व्यक्तिगत सुरक्षा
ट्रांसपैरेंसी के लिए काम कर रहे रिटायर्ड कमोडोर लोकेश बत्रा की ओर से सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच से संबंधित जानकारी हासिल करने के लिए आरटीआई दाखिल की गई थी. इसके जवाब में कहा कि अपने और परिजनों के पास मौजूद वित्तीय परिसंपत्तियों और इक्विटी के बारे में बुच की तरफ से सरकार और सेबी बोर्ड को की गई घोषणाओं की प्रतियां नहीं दी जा सकती हैं. सेबी ने इस ब्योरे को ‘व्यक्तिगत जानकारी’ बताते हुए कहा कि उनके खुलासे से व्यक्तिगत सुरक्षा ‘खतरे में’ पड़ सकती है. इसके साथ ही, सेबी ने उन तारीखों की जानकारी देने से भी इनकार कर दिया, जब ये खुलासे किए गए थे.
SEBI ने आरटीआई नियम का दिया हवाला
सेबी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने उन घोषणाओं की प्रति देने से इनकार करने के लिए ‘व्यक्तिगत जानकारी’ और ‘सुरक्षा’ को आधार बनाया है. आरटीआई आवेदन के जवाब में सेबी ने कहा कि मांगी गई जानकारी आपसे संबंधित नहीं है. यह व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित है. इसके खुलासे का किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है. यह व्यक्ति की निजता में अनुचित हस्तक्षेप का कारण बन सकता है और व्यक्ति(यों) के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है. इसलिए, इसे आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जी) और 8(1)(जे) के तहत छूट हासिल है.
संसाधनों का बेजा इस्तेमाल
सेबी ने अपने जवाब में कहा कि इसके अलावा माधबी पुरी बुच ने अपने कार्यकाल में हितों के संभावित टकराव के कारण जिन मामलों में खुद को अलग कर लिया है, उनके बारे में सूचना आसानी से उपलब्ध नहीं है. यह जानकारी जुटाने से आरटीआई अधिनियम की धारा 7(9) के अनुसार, सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधनों का बेजा इस्तेमाल होगा. सेबी ने 11 अगस्त को प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया था कि चेयरपर्सन ने हितों के संभावित टकराव वाले मामलों से खुद को अलग कर लिया है. विज्ञप्ति में कहा गया था कि शेयरधारिता और उनके हस्तांतरण के संदर्भ में सेबी प्रमुख ने समय-समय पर जरूरी खुलासे किए हैं.
इसे भी पढ़ें: सरकार की महारत्न कंपनी लाने जा रही आईपीओ, सौर और पवन ऊर्जा में दमदार पकड़
हिंडनबर्ग ने SEBI की जांच पर जताया संदेह
अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने संदेह जताया था कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा शायद इसलिए है, क्योंकि माधबी पुरी बुच के पास ग्रुप से जुड़े फॉरेन फंड में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग ने कहा था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक फॉरेन फंड में निवेश किया था, जिसका कथित तौर पर इस्तेमाल विनोद अदाणी कर रहे थे. इसने निजी इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन के साथ धवल बुच के जुड़ाव पर भी सवाल उठाए थे. इन आरोपों को सेबी ने नकारते हुए कहा था कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के पिछले आरोपों की सेबी ने विधिवत जांच की है.
इसे भी पढ़ें: अरे बाप रे! इतना महंगा चावल? कीमत जानकर चौंक जाएंगे आप
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.