Share Market: भारतीय शेयर बाजार में पिछले पांच महीनों से जारी गिरावट ने निवेशकों को चौंका दिया है. लगातार पांच महीनों तक नेगेटिव रिटर्न और भारी बिकवाली ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जो इससे पहले 1996 में देखी गई थी. 2008 की वैश्विक मंदी और कोविड-19 संकट के दौरान भी ऐसी निरंतर गिरावट नहीं देखी गई थी. इस गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) टैक्स में किए गए संशोधन ने विदेशी निवेशकों को निराश किया है, जिससे वे भारतीय शेयर बाजार से तेजी से बाहर निकल रहे हैं.
सरकार के फैसले पर उठे सवाल
अलग-अलग विशेषज्ञों ने इस मुद्दे को उजागर किया है, लेकिन हेलियोस कैपिटल (Helios Capital) के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) समीर अरोड़ा ने इस पर सीधा आरोप लगाया है. उन्होंने सरकार के कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने के फैसले को “सबसे बड़ी गलती” करार दिया है.
कैपिटल गेन टैक्स वृद्धि से विदेशी निवेशक नाराज
समीर अरोड़ा का कहना है कि सरकार के इस फैसले के कारण ही विदेशी निवेशक लगातार पांच महीनों से भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो महीनों में ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे हैं. इस स्थिति ने बाजार की स्थिरता को प्रभावित किया है और निवेशकों के मनोबल को कमजोर किया है.
बजट 2024 में सरकार ने क्या बदलाव किए?
2024-25 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ (LTCG) कर को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया. इसके अलावा, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) कर को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया.
नए नियमों के अनुसार:
- सूचीबद्ध वित्तीय संपत्तियां (शेयर, म्यूचुअल फंड आदि) एक साल से अधिक रखने पर लंबी अवधि की संपत्ति मानी जाएंगी.
- असूचीबद्ध वित्तीय संपत्तियां (रियल एस्टेट, डेट फंड) दो साल से अधिक समय तक रखने पर लंबी अवधि की श्रेणी में आएंगी.
इस वृद्धि का सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा है, जिससे विदेशी निवेशक निराश हुए हैं और बाजार में भारी बिकवाली देखी जा रही है.
यह क्या होता है कैपिटल गेन टैक्स ?
कैपिटल गेन टैक्स वह कर है, जो किसी भी संपत्ति (शेयर, प्रॉपर्टी, सोना) बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है. यह दो प्रकार का होता है.
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) : अगर कोई व्यक्ति शेयर, म्यूचुअल फंड या संपत्ति 12 महीने से कम समय में बेचता है, तो इस पर 20% टैक्स (पहले 15% था) लगाया जाएगा.
अन्य संपत्तियों के लिए:
- प्रॉपर्टी को 24 महीने से कम समय में बेचने पर आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा.
- डेट फंड बेचने पर भी व्यक्ति की कुल आय के अनुसार टैक्स लगेगा, जो अधिकतम 30% तक हो सकता है.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) : अगर कोई व्यक्ति 12 महीने से अधिक समय तक शेयर रखता है और 1.25 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाता है, तो इस पर 12.5% टैक्स (पहले 10%) लगाया जाएगा.
अन्य संपत्तियों के लिए:
- प्रॉपर्टी को 24 महीने से अधिक समय तक रखने पर 12.5% टैक्स लगेगा.
- सोना और डेट फंड पर भी 12.5% टैक्स लागू होगा.
- क्रिप्टो करेंसी पर 30% टैक्स लागू रहेगा.
क्या सरकार को कैपिटल गेन टैक्स हटाना चाहिए?
समीर अरोड़ा का मानना है कि भारत सरकार को विदेशी निवेशकों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए और कैपिटल गेन टैक्स को हटाने पर विचार करना चाहिए. उनका कहना है कि लंबी अवधि में विदेशी निवेश को हतोत्साहित करने से सरकार को जो नुकसान होगा, वह अल्पकालिक राजस्व लाभ से कहीं अधिक होगा.
2023-24 में भारत ने लगभग 10-11 अरब डॉलर का कैपिटल गेन टैक्स एकत्र किया था, लेकिन इसके कारण विदेशी निवेशकों का पलायन जारी है. यदि यही स्थिति बनी रही, तो भारतीय शेयर बाजार पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
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