विशेषज्ञों ने जताई आर्थिक सुधार पैकेज की जरूरत
बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने कहा कि यह गिरावट घरेलू कारणों से नहीं, बल्कि वैश्विक पूंजी प्रवाह की कड़ी में भारत के जुड़ाव के कारण हो रही है. उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को मौद्रिक, वित्तीय और संरचनात्मक सुधारों का एक मजबूत पैकेज लाने की जरूरत है, ताकि वैश्विक मंदी के इस दौर में घरेलू अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके.
ट्रंप की नीति से गहराया संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए सदी के सबसे बड़े टैरिफ का असर अब वैश्विक बाजारों पर दिखने लगा है. अमेरिकी बाजारों में दो दिन में 5.4 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट के बाद एशियाई बाजारों में भी रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई. ताइवान के बाजार में 20% की भारी गिरावट आई, जबकि हांगकांग में 10% की गिरावट दर्ज की गई. जापान का निक्केई 225 सूचकांक 5.79% गिरा, ताइवान का वेटेड इंडेक्स 9.61% फिसला, कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 4.14% टूटा और चीन का शंघाई कंपोजिट 6.5% लुढ़का. ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX 200 भी 3.82% गिरा.
भारतीय बाजार में मंदी का संकेत
SEBI-पंजीकृत विश्लेषक सुनील गुर्जर के अनुसार, निफ्टी 50 में बड़ी लाल कैंडल बनी है, जो मंदड़ियों की ताकत को दर्शा रही है. कीमत एक प्रमुख समर्थन स्तर को तोड़ चुकी है और अब दूसरे सपोर्ट की ओर बढ़ रही है. अगर यह सपोर्ट भी टूटता है, तो गिरावट का सिलसिला और तेज हो सकता है.
कच्चे तेल की कीमतें भी फिसलीं
ब्रेंट क्रूड की कीमतें भी गिरकर 52 हफ्तों के निचले स्तर पर पहुंच गईं और रिपोर्ट लिखे जाने तक 63.97 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रही थीं.
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