Share Market: सोमवार को भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत शुरुआत की, जिसमें दोनों प्रमुख सूचकांकों में बढ़त देखने को मिली. बीएसई सेंसेक्स 290.59 अंकों की बढ़त के साथ 74,138.49 के स्तर पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी 82.35 अंक चढ़कर 22,479.55 के स्तर पर पहुंचा.
शीर्ष लाभार्थी और कमजोर प्रदर्शन करने वाले शेयर
निफ्टी-सूचीबद्ध कंपनियों में 38 शेयरों में तेजी रही, जबकि 12 में गिरावट दर्ज की गई. प्रमुख बढ़त दर्ज करने वाले शेयरों में इंडसइंड बैंक, एसबीआई लाइफ, बजाज फिनसर्व, टाटा मोटर्स और लार्सन एंड टुब्रो शामिल रहे. दूसरी ओर, इंफोसिस, एचसीएल टेक, विप्रो, बीपीसीएल और ब्रिटानिया शुरुआती कारोबार में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाले शेयरों में रहे.
वैश्विक बाजारों के संकेत
इस सकारात्मक शुरुआत के पीछे वैश्विक बाजारों से मिले मिश्रित संकेत अहम रहे. बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने बताया कि चीन ने घरेलू खपत को प्रोत्साहित करने के लिए उपायों की घोषणा की है, हालांकि इन कदमों पर प्रतिक्रिया अब तक ठंडी रही है. हालांकि, 2025 के पहले दो महीनों में चीन के औद्योगिक विकास और खुदरा बिक्री के आंकड़े उम्मीद से बेहतर आए, जिससे एशियाई बाजारों में कुछ सकारात्मकता आई.
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अमेरिकी फेडरल रिजर्व का प्रभाव
बग्गा ने बताया कि व्यापक आर्थिक परिदृश्य अब भी अनिश्चित बना हुआ है, खासकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी और “ट्रंप 2.0” नीति के उतार-चढ़ाव के कारण.
उन्होंने कहा, “इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की एफओएमसी बैठक प्रमुख नीति बैठक होगी. हमें उम्मीद है कि फेड अनिश्चितता के कारण अपनी दरों को यथावत रखेगा. हालांकि, बाजार के लिए महत्वपूर्ण बयान यह होगा कि क्या फेड आर्थिक मंदी को रोकने पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा या मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर. फेड फ्यूचर्स 2025 में फेड द्वारा तीन दर कटौतियों का संकेत दे रहे हैं, और बाजार किसी भी संकेत पर बारीकी से नजर रखेगा.”
ट्रंप के प्रस्तावित शुल्क का प्रभाव
वैश्विक व्यापार पर मंडरा रहा एक प्रमुख खतरा डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल को प्रस्तावित “Reciprocal Tariffs” (पारस्परिक शुल्क) की घोषणा है. यदि भारत अपने प्रमुख निर्यात उत्पादों पर इस शुल्क में छूट या स्थगन के लिए बातचीत करने में सफल होता है, तो बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है.
हालांकि, बग्गा ने आगाह किया कि “2 अप्रैल तक बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है. हालांकि एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) की बिकवाली की तीव्रता हाल ही में कम हुई है, लेकिन अतीत के रुझान बताते हैं कि यह स्थिरता का संकेत नहीं हो सकता.”
कमोडिटी बाजार का हाल
कमोडिटी बाजार में, सोने ने संक्षिप्त समय के लिए 3,000 अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार किया, लेकिन बाद में थोड़ा नीचे आ गया. तेल की कीमतों में वृद्धि देखी गई, जिसका कारण अमेरिका द्वारा यमन स्थित हूती ठिकानों पर किए गए हवाई हमले रहे. वहीं, धातु बाजार चीन की प्रोत्साहन नीतियों पर बारीकी से नजर रखे हुए है.
निवेशकों के लिए सलाह
सकारात्मक शुरुआत के बावजूद विश्लेषकों ने वैश्विक नीतिगत अनिश्चितता के कारण सतर्क रहने की सलाह दी है. इस सप्ताह फेडरल रिजर्व की बैठक और आगामी शुल्क घोषणाओं के चलते बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावना बनी हुई है.
निवेशक अमेरिका की व्यापार नीतियों और संभावित आर्थिक मंदी पर करीबी नजर रखेंगे, क्योंकि इससे भारत में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है. हालांकि, FY24 में भारत में मजबूत विदेशी संस्थागत निवेश (FII) प्रवाह और ब्रिटेन, कनाडा और यूरोपीय संघ के साथ चल रही मुक्त व्यापार वार्ताओं से देश की आर्थिक स्थिति दीर्घकालिक रूप से मजबूत रहने की उम्मीद है.
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