Stock Market: एचडीएफसी समेत कई कंपनियों के शेयरों में बिकवाली की वजह से बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती तेजी ज्यादा देर टिक नहीं सकी. एचडीएफसी बैंक, एलएंडटी और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज शेयरों में आई बिकवाली से बीएसई सेंसेक्स 287.60 अंक गिरकर 83,409.69 पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह एक समय 546 अंक तक लुढ़क गया था. वहीं, एनएसई निफ्टी भी 88.40 अंक टूटकर 25,453.40 पर बंद हुआ.
बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक जैसे शेयरों में भारी गिरावट
सेंसेक्स में शामिल बजाज फिनसर्व, एलएंडटी, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में गिरावट देखी गई. वहीं, टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट और ट्रेंट जैसे शेयर लाभ में रहे.
एफआईआई की बिकवाली और वैश्विक संकेतों से दबाव
बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से की गई 1,970.14 करोड़ रुपये की बिकवाली और वैश्विक बाजारों के मिले-जुले संकेतों ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया. जियोजीत फाइनेंशियल के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि शुल्क छूट की समाप्ति से पहले निवेशक सतर्क हैं और अब बाजार की निगाहें कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजों पर हैं.
वृहद आर्थिक संकेतक मजबूत, फिर भी सतर्कता जरूरी
भारत की विनिर्माण गतिविधियां जून में 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 58.4 रहा, जो मई के 57.6 से बेहतर है। इससे उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार में सुधार का संकेत मिला है. वहीं, जीएसटी संग्रह जून 2025 में 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है.
वैश्विक बाजारों का मिला-जुला प्रदर्शन
एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट नुकसान में रहे, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक लाभ में रहा. यूरोपीय बाजारों में दोपहर के सत्र में तेजी देखी गई, जबकि अमेरिकी बाजार मंगलवार को मिश्रित रुख के साथ बंद हुए.
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कच्चे तेल में तेजी, ब्रेंट क्रूड 67.69 डॉलर पर
अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.86% की बढ़त के साथ 67.69 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है. बाजार में बिकवाली का दबाव, वैश्विक अस्थिरता और एफआईआई की निकासी से आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है. हालांकि, मजबूत आर्थिक संकेतकों से दीर्घकालिक निवेशकों को राहत मिल सकती है.
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