Success Story: IIT से पढ़ाई ,सैमसंग में नौकरी, 75 से ज्यादा रिजेक्शन, फिर पवन ने खड़ी कर दी रैपिडो बाइक टैक्सी सर्विस

Success Story: पवन ने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. फिर सैमसंग में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी शुरू की. मगर कॉर्पोरेट की चारदीवारी उन्हें बांधने लगी. वहां पैकेज था, सुविधाएं थीं, लेकिन ‘किक’ नहीं थी.

By Abhishek Pandey | April 15, 2025 9:17 AM
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Success Story: किसी ने शायद ही सोचा होगा कि तेलंगाना के एक शांत कोने से आने वाला एक साधारण-सा लड़का एक दिन देश की दोपहिया टैक्सी क्रांति का चेहरा बनेगा. पवन गुंटुपल्ली, एक ऐसा नाम जो आज रैपिडो (Rapido) के साथ भारत के लॉजिस्टिक स्टार्टअप की दुनिया में गूंजता है. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना उतना आसान नहीं था.

आईआईटी से शुरू, सैमसंग तक की नौकरी

पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले पवन ने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. फिर सैमसंग में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी शुरू की. मगर कॉर्पोरेट की चारदीवारी उन्हें बांधने लगी. वहां पैकेज था, सुविधाएं थीं, लेकिन ‘किक’ नहीं थी.

स्टार्टअप का सपना और पहली असफलता

अपने दोस्त अरविंद सांका के साथ मिलकर पवन ने ‘theKarrier’ नामक स्टार्टअप शुरू किया. लक्ष्य था लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में क्रांति लाना. लेकिन यह कोशिश ज्यादा दूर नहीं गई और प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया.

रैपिडो का जन्म और 75 से ज्यादा रिजेक्शन

2014 में रैपिडो की नींव पड़ी. विचार था एक दोपहिया टैक्सी सर्विस शुरू करने का. लेकिन सबसे बढ़िया आइडिया को भी समर्थन चाहिए होता है  और पवन को वह नहीं मिला. 75 से ज्यादा निवेशकों ने रैपिडो को नकार दिया.

उनमें से कुछ ने ओला और उबर जैसी कंपनियों से मुकाबले को चुनौती बताया, तो कुछ ने दोपहिया टैक्सी के ट्रैफिक और रेगुलेशन से जुड़े मुद्दों को कारण बताया. मगर पवन रुके नहीं.

कम रेट, तेज सेवा

रैपिडो ने 15 रुपये बेस किराया और 3 रुपये प्रति किलोमीटर का किफायती मॉडल पेश किया. शुरुआत धीमी रही, लेकिन ग्राहकों को सस्ता और तेज विकल्प मिलने लगा. ऐप सिंपल था और राइडर्स फ्रेंडली. 2016 में पवन की किस्मत ने करवट ली. हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन और एमडी पवन मुंजाल ने रैपिडो में निवेश किया. इससे न सिर्फ फंडिंग मिली, बल्कि रैपिडो को एक तरह की सामाजिक और व्यावसायिक वैधता भी मिल गई. इसके बाद नए निवेशक आए, प्लेटफॉर्म का विस्तार हुआ और आज रैपिडो 100 से ज्यादा शहरों में एक्टिव है, लाखों लोग इससे रोज़ सफर करते हैं.

सिर्फ टैक्सी नहीं, एक ट्रांसपोर्ट मूवमेंट

रैपिडो आज सिर्फ बाइक-टैक्सी सर्विस नहीं है, बल्कि ई-बाइक, ऑटो, और लॉजिस्टिक्स सेवाओं का भी हिस्सा है. इसकी वैल्यूएशन 6,700 करोड़ रुपये से भी अधिक है और यह भारत के सबसे बड़े मोबिलिटी स्टार्टअप्स में गिना जाता है.

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