पलामू की प्रेरणा और विश्वास की नींव बनीं सोनी कुमारी
पलामू की 23 वर्षीय सोनी कुमारी ने अपने हौसले से गांव की तस्वीर बदल दी. एफआईए ग्लोबल और पंजाब नेशनल बैंक के साथ बैंक मित्र के रूप में सोनी ने तीन साल में सैकड़ों बैंक खाते खुलवाए और नकद लेन-देन को आसान बनाया.शुरू में गांववाले बैंकिंग से डरते थे, शहर के बैंकों पर भरोसा नहीं करते थे. लेकिन, सोनी ने हर घर का दरवाजा खटखटाया. लोगों से बात की और उन्हें समझाया कि बैंक खाता उनकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकता है.
उनकी मेहनत रंग लाई. आज उनके इलाके में लोग बेझिझक बैंक खाते खुलवा रहे हैं. महिलाएं अपनी छोटी-छोटी बचत को बैंक में जमा कर रही हैं और युवा डिजिटल ट्रांजेक्शन को अपनाने लगे हैं. सोनी की एक साधारण सी कोशिश ने गांव में विश्वास की ऐसी नींव रखी कि अब लोग वित्तीय सेवाओं को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं. सोनी की मेहनत ने उनके इलाके को नई आर्थिक ताकत दी है.
चंदन विश्वकर्मा ने जलाई जागरूकता का दीपक
पलामू के ही 24 वर्षीय चंदन विश्वकर्मा ने बैंक मित्र के रूप में न केवल बैंकिंग सेवाएं पहुंचाईं, बल्कि वित्तीय जागरूकता का दीपक जलाया. चंदन ने गांव-गांव जाकर लोगों को अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और UPI जैसे डिजिटल भुगतान के फायदे समझाए. शुरू में लोग हिचकते थे. खासकर बुजुर्ग, जो नकद लेन-देन पर ही भरोसा करते थे. लेकिन, चंदन ने धैर्य से उनकी शंकाओं को दूर किया.
आज चंदन के इलाके में लोग न केवल बैंक खाते खोल रहे हैं, बल्कि बीमा और पेंशन योजनाओं में भी हिस्सा ले रहे हैं. युवा अब UPI से भुगतान कर रहे हैं और बुजुर्ग भी धीरे-धीरे डिजिटल दुनिया से जुड़ रहे हैं. चंदन की मेहनत ने उनके इलाके में वित्तीय सेवाओं को इतना सहज बना दिया कि लोग अब बिना डर के इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. ये चंदन की मेहनत की जीत है, जिसने पूरे समुदाय को वित्तीय ताकत दी.
गिरिडीह के तीन पंचायतों का नायक बने सकलदेव कुशवाला
गिरिडीह के सकलदेव कुशवाहा की मेहनत की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं. हर दिन 70-100 किलोमीटर का सफर तय करते हुए अपने मोबाइल, डेस्कटॉप, और अथक ऊर्जा के साथ सकलदेव तीन पंचायतों के लिए बैंक मित्र बन चुके हैं. छह साल की मेहनत में उन्होंने हजारों लोगों को प्रधानमंत्री जनधन योजना से जोड़ा. शुरू में उनके इलाके में लोग बैंकिंग से अनजान थे, लेकिन सकलदेव ने हर व्यक्ति तक पहुंचकर उन्हें बैंकिंग की ताकत समझाई.
आज उनकी तीन पंचायतों में लोग बेझिझक बैंक खाते खोल रहे हैं, लोन ले रहे हैं और अपनी बचत को सुरक्षित कर रहे हैं. छोटे दुकानदार अब अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वित्तीय सेवाओं का सहारा ले रहे हैं और महिलाएं सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रही हैं. सकलदेव की मेहनत ने उनके इलाके में वित्तीय समावेशन को एक जन आंदोलन बना दिया. ये उनकी जीत है, जिसने पूरे समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त किया.
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ग्रामीणों को मिला एफआईए ग्लोबल का मजबूत सहारा
सोनी कुमारी, चंदन विश्वकर्मा और सकलदेव कुशवाहा की इस सफलता में एफआईए ग्लोबल का अहम योगदान है. अपने मजबूत नेटवर्क के साथ एफआईए ने इन बैंक मित्रों को वह मंच दिया, जिसने झारखंड के गांवों में वित्तीय समावेशन को हकीकत बनाया. इनके प्रयासों से लाखों लोग बैंकिंग की मुख्यधारा से जुड़े हैं.
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