Success Story: CA में फेल, IAS का सपना छोड़ा, दोस्त के पैसों से शुरू किया चाय का बिजनेस, आज कमा रहे करोड़ों

Success Story: अनुभव दुबे का जन्म 1996 में मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुआ था. उनका परिवार व्यवसायिक पृष्ठभूमि से था, लेकिन उनके पिता उन्हें आईएएस अधिकारी बनते देखना चाहते थे. इसी कारण अनुभव दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी में जुट गए. हालांकि, प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनका असली जुनून व्यापार में है.

By Abhishek Pandey | March 22, 2025 8:55 AM
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Success Story: अगर आपके शहर में चाय सुट्टा बार का आउटलेट है, तो शायद आपने भी वहां अपने दोस्तों के साथ चाय का आनंद जरूर लिया होगा. 2016 से पहले किसी ने यह नहीं सोचा था कि चाय बेचने का व्यवसाय इतना सफल हो सकता है. लोगों का मानना है कि सफलता केवल आईआईटी, आईआईएम या यूपीएससी जैसी परीक्षाएं पास करने के बाद ही मिलती है, लेकिन अनुभव दुबे की कहानी इस धारणा को तोड़ती है. चाय सुट्टा बार के सह-संस्थापक अनुभव दुबे की यात्रा साहस, मेहनत और उद्यमशीलता की मिसाल है.

संघर्ष और अनुभव की  नई शुरुआत

अनुभव दुबे का जन्म 1996 में मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुआ था. उनका परिवार व्यवसायिक पृष्ठभूमि से था, लेकिन उनके पिता उन्हें आईएएस अधिकारी बनते देखना चाहते थे. इसी कारण अनुभव दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी में जुट गए. हालांकि, प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनका असली जुनून व्यापार में है. 2016 में अनुभव ने अपने मित्र आनंद नायक के साथ मिलकर एक चाय व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया. सीमित संसाधनों के बावजूद दोनों ने किसी तरह 3 लाख रुपये जुटाए और इंदौर में एक छात्रावास के सामने पहला चाय सुट्टा बार का आउटलेट खोला.

अनोखी सोच से मिली सफलता

चाय सुट्टा बार की सफलता का मुख्य कारण इसकी अनूठी अवधारणा थी. ‘कुल्हड़ चाय का स्वाद’ को बार जैसी थीम में प्रस्तुत करना. यहां धूम्रपान सख्त मना था, जिससे ब्रांड ने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का संदेश दिया. भारतीय संस्कृति को आधुनिक रंग देने के कारण यह जगह युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गई. शुरू में अनुभव और आनंद के पास ब्रांडिंग, इंटीरियर डिज़ाइन और मार्केटिंग के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे. उन्होंने दोस्तों से उधार लिए गए सामान और सेकंड हैंड फर्नीचर का उपयोग कर पहला आउटलेट खड़ा किया. साधारण लकड़ी के एक टुकड़े पर हाथ से “चाय सुट्टा बार” लिखकर उन्होंने अपने स्टोर का नामकरण किया, जो युवाओं को खूब भाया.

संघर्ष से सफलता तक का सफर

शुरुआत में अनुभव और आनंद को कड़ी प्रतिस्पर्धा और सीमित संसाधनों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. मगर उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने कुल्हड़ में 20 अलग-अलग फ्लेवर की चाय परोसनी शुरू की, जिससे उनकी दुकान युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो गई. शुरुआत में उनके व्यवसाय को केवल वर्ड-ऑफ-माउथ मार्केटिंग से प्रसिद्धि मिली. ग्राहक बार जैसी सेटिंग में चाय पीने का अनुभव लेने आते थे, जहां धूम्रपान पर पूरी तरह से प्रतिबंध था. उनकी पर्यावरण-अनुकूल चाय परोसने की सोच भी युवाओं को खूब भायी.

 165 से ज्यादा आउटलेट का सफर

चाय सुट्टा बार ने अपनी सफलता को नए आयाम तक पहुंचाया. छोटे से स्टॉल से शुरू होकर आज ब्रांड ने भारत के 195 से अधिक शहरों में 165 से ज्यादा आउटलेट खोल लिए हैं. इसके अलावा, दुबई और ओमान जैसे देशों में भी चाय सुट्टा बार अपनी पहचान बना चुका है. इस शानदार सफलता ने चाय सुट्टा बार को भारत की सबसे बड़ी कुल्हड़ चाय फ्रेंचाइज़ी के रूप में स्थापित कर दिया है. अनुभव दुबे की यह कहानी दिखाती है कि जुनून, मेहनत और सही सोच से कोई भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है.

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