Success Story: पति और बेटे को खोया, फिर भी हार नहीं मानी, संगीता ने शुरू की खेती और खड़ा किया लाखों का बिजनेस

Success Story: पति और बेटे को खोने के बाद भी संगीता ने हिम्मत नहीं हारी, खेती शुरू कर मेहनत के बल पर लाखों का बिजनेस खड़ा किया.

By Abhishek Pandey | March 8, 2025 10:25 AM
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Success Story: नासिक की एक किसान संगीता पिंगले की अविश्वसनीय कहानी है, जिन्होंने अपने पति और बच्चे को खोने के बाद खेती करके खुद को फिर से खड़ा किया, इस संदेह के बावजूद कि यह महिलाओं का पेशा नहीं है. महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक छोटे से गांव शिलापुर में संगीता पिंगले का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. बचपन से ही उन्हें पढ़ाई का शौक था. 2000  केमिस्ट्री में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और सरकारी अधिकारी बनने का सपना देखा. उनके पिता ने इस लक्ष्य में उनका पूरा साथ दिया. लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ अलग ही राह चुन रखी थी.

वैवाहिक जीवन और कठिनाइयां

2000 में संगीता का विवाह मटोरी गांव के प्रगतिशील किसान अनिल पिंगले से हुआ. उन्होंने गृहिणी के रूप में अपने पति का सहयोग किया और अपने परिवार के भविष्य को संवारने में जुट गईं. 2001 में बेटी के जन्म के बाद उनके पिता का निधन हुआ, जिससे संगीता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 2004 में उनके बेटे का जन्म हुआ जो विकलांग था और पांच साल बाद उसकी मृत्यु हो गई. इसके बावजूद संगीता ने हिम्मत नहीं हारी. 

2007 में एक और दुखद घटना हुई जब उनके पति अनिल का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया. उस समय संगीता नौ माह की गर्भवती थीं और 15 दिन बाद उन्होंने बेटे को जन्म दिया. नए जीवन के आगमन की खुशी उनके गहरे दुख के सामने छोटी पड़ गई.

खेती में संघर्ष और सफलता

2016 में संयुक्त परिवार के बंटवारे के बाद संगीता को 13 एकड़ जमीन मिली. खेती का अनुभव न होने और समाज के तानों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. ससुर के शुरुआती मार्गदर्शन के बाद संगीता ने खेती की बारीकियां सीखनी शुरू की. तीन महीने बाद उनके ससुर का भी निधन हो गया, जिसके बाद संगीता ने अकेले ही खेती का जिम्मा संभाला.

संपत्ति गिरवी रखकर स्कूटर खरीदी और खेत तक आना-जाना शुरू किया. टमाटर की सफल फसल के बाद उन्होंने अंगूर की खेती का निर्णय लिया. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और सालाना 800-1,000 टन अंगूर का उत्पादन होने लगा, जिससे उन्हें 25-30 लाख रुपये की आमदनी हुई.

सफलता की प्रेरणा

आज उनकी बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है और बेटा एक निजी स्कूल में पढ़ रहा है. संगीता के अनुसार, “मैंने अपने आलोचकों को गलत साबित किया है.” उनकी कहानी उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत चुनौतियों से लड़ रही हैं. संगीता पिंगले का जीवन इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है.

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