Swiggy Zomato Complaint: स्विगी-जोमैटो को सरकार का निर्देश, समाधान तंत्र में सुधार के लिए पेश करें योजना

Swiggy Zomato Complaint: सरकार ने स्विगी और जोमैटो जैसे कंपनियों को उपभोक्ता शिकायत निवारण व्यवस्था में सुधार के लिए 15 दिनों के भीतर एक प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2022 9:03 PM
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Swiggy Zomato Complaint: केंद्र सरकार ने ऑनलाइन के माध्यम से खाने-पीने के सामान का ऑर्डर व डिलिवरी की सुविधा प्रदान करने वाली स्विगी और जोमैटो को जरूरी निर्देश दिया है. सरकार ने स्विगी और जोमैटो जैसे कंपनियों को उपभोक्ता शिकायत निवारण व्यवस्था में सुधार के लिए 15 दिनों के भीतर एक प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया है. सरकार ने इन मंचों पर ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए यह कदम उठाया है.

सरकार की ओर से जारी किया गया बयान

सोमवार को इस संबंध में जारी किए गए एक आधिकारिक बयान के अनुसार, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने प्रमुख ई-कॉमर्स खाद्य कारोबार परिचालकों (FBO) को मौजूदा ढांचे के साथ-साथ उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र में सुधार के लिए 15 दिन के भीतर एक प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया है. विभाग ने ई-कॉमर्स एफबीओ को ग्राहकों को ऑर्डर राशि में शामिल सभी शुल्कों जैसे डिलिवरी शुल्क, पैकेजिंग शुल्क, कर और अन्य शुल्कों को भी पारदर्शी रूप से दिखाने का निर्देश दिया है.

3631 से अधिक दर्ज की गई शिकायतें

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में प्रमुख एफबीओ के साथ एक बैठक के दौरान यह निर्देश दिया गया. यह बैठक इस क्षेत्र में उपभोक्ताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के बुलाई गई थी. इस बैठक में स्विगी और जोमैटो जैसे कंपनियों समेत एफबीओ और भारतीय राष्ट्रीय रेस्ट्रोरेंट संघ (NRAI) ने भी भाग लिया. बयान में कहा गया कि पिछले 12 माह के दौरान स्विगी के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (1915) पर 3,631 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं. वहीं, जोमैटो को लेकर 2,828 शिकायतें आई हैं.

बैठक में उपभोक्ता हेल्पलाइन पर प्रमुख रूप से उठाए गए मुद्दों पर हुई चर्चा

बैठक में इन मंचों को व्यक्तिगत उपभोक्ता समीक्षाओं को पारदर्शी रूप से दिखाने को कहा गया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर प्रमुख रूप से उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की. मंत्रालय ने कहा कि चर्चा में डिलिवरी और पैकिंग शुल्क, मंचों पर दिखाए जाने वाले खाने-पीने की वस्तुओं और रेस्तरां पर दिखाये जाने वाले समान वस्तुओं की कीमतों और मात्रा के बीच असमानता तथा डिलिवरी का समय और वास्तव में लगने वाले समय के बीच अंतर जैसे मुद्दे शामिल थे.

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