Home Badi Khabar सार्वजनिक क्षेत्र की तीन सौ से ज्यादा कंपनियों को घटा कर दो दर्जन तक सीमित करना चाहती है केंद्र सरकार

सार्वजनिक क्षेत्र की तीन सौ से ज्यादा कंपनियों को घटा कर दो दर्जन तक सीमित करना चाहती है केंद्र सरकार

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सार्वजनिक क्षेत्र की तीन सौ से ज्यादा कंपनियों को घटा कर दो दर्जन तक सीमित करना चाहती है केंद्र सरकार

नयी दिल्ली : देश की तीन सौ से ज्यादा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की संख्या घटा कर केंद्र सरकार दो दर्जन की संख्या तक सीमित कर सकती है. तीसरी बार आम बजट पेश कर रहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण की नयी नीति पेश की हैं. इसके तहत नॉन-कोर सेक्टर की कंपनियों का निजीकरण किया जायेगा. साथ ही घाटे वाली कंपनियों को बंद करने की भी योजना है.

अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, नीति आयोग के सुझाव के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट तय करेगी कि सरकार के पास कितनी कंपनियां बची रहनी चाहिए. निजीकरण के लिए कंपनियों के चयन की जिम्मेदारी नीति आयोग को ही दी गयी है.

बजट में कहा गया है कि अब सिर्फ चार प्रमुख रणनीतिक क्षेत्र होंगे. इन प्रमुख क्षेत्रों में अधिकतम तीन या चार सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां होंगी. इसके अलावा अन्य सरकारी कंपनियों को नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार निजी खिलाड़ियों के हाथों में सौंप देगी. इसके बाद सरकार के अधीन मात्र दो दर्जन कंपनियां रह जायेंगी. इनमें बैंक और इंश्योरेन्स कंपनियां शामिल हैं.

तीसरा बजट पेश कर रहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा, परिवहन, दूरसंचार, बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिजों और बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाओं की रणनीतिक क्षेत्र के उद्यमों के रूप में पहचान की थी. नयी नीति में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की मौजूदगी अब न्यूनतम होगी. केंद्र सरकार के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण किया जायेगा या फिर सहायक कंपनियों में विलय होगा या उन्हें बंद कर दिया जायेगा.

कोविड-19 महामारी के कारण बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए नकदी की जरूरत पूरी करने को लेकर निजी सेक्टर और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने की दिशा में सरकार को निर्णायक कदम बढ़ाने होंगे. 2018-19 के पब्लिक एंटरप्राइजेज सर्वे के मुताबिक, सरकार के पास 31 मार्च तक करीब 348 उपक्रम थे. इन उपक्रमों में 249 में कामकाज हो रहा था. अन्य 86 उपक्रम निर्माणाधीन थे. जबकि, 13 अन्य बंद होने के कगार पर थे.

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