गुणवत्ता और आत्मनिर्भरता बनी पहचान
पीयूष गोयल ने कहा कि Quality Control Order (QCO) के प्रभावी क्रियान्वयन से भारत में गुणवत्ता के प्रति जागरूकता बढ़ी है. इसके चलते भारतीय खिलौने अब वैश्विक गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरने लगे हैं. उन्होंने बताया कि भारत की 140 करोड़ की विशाल आबादी एक कैप्टिव मार्केट प्रदान करती है, जिससे घरेलू निर्माण को स्केल और लागत-प्रभावी बनने का स्वाभाविक अवसर मिलता है. यही कारण है कि भारत अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी मजबूती से कदम रख रहा है.
ब्रांडिंग, पैकेजिंग और डिजाइन पर जोर
गोयल ने कहा कि अगर भारतीय टॉय इंडस्ट्री को वैश्विक बाजारों में और मजबूत पकड़ बनानी है, तो उसे तीन पहलुओं पर विशेष ध्यान देना होगा ब्रांडिंग, आकर्षक पैकेजिंग और मजबूत उत्पाद डिजाइन. उनका मानना है कि इन तीन क्षेत्रों में सुधार से भारतीय खिलौनों की अंतरराष्ट्रीय अपील काफी बढ़ सकती है.
‘वोकल फॉर लोकल’ से ‘लोकल टू ग्लोबल’ की यात्रा
मंत्री ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “वोकल फॉर लोकल” अभियान शुरू किया था, तो लोगों को इसमें संशय था, क्योंकि उस समय विदेशी खिलौनों का बोलबाला था. लेकिन “आत्मनिर्भर भारत” की सोच और स्थानीय उत्पादों में विश्वास के चलते आज घरेलू उद्योग को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है.
स्टार्टअप्स और MSME को मिला बूस्ट
पीयूष गोयल ने बताया कि देश में नवाचार आधारित खिलौने बनाने वाले कई स्टार्टअप्स को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सहयोग मिला है. इस योजना को अब 20 साल तक के लिए विस्तारित कर दिया गया है.
जिससे छोटे उद्यमियों को बिना गारंटी लोन मिल सके. इसके अलावा, MSME मंत्रालय द्वारा देशभर में 18 टॉय क्लस्टर्स को सहायता दी जा चुकी है, जिससे स्थानीय उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा मिला है. मंत्री ने यह भी घोषणा की कि सरकार टॉय सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए एक नई प्रोत्साहन योजना लाने की योजना बना रही है.
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