चीन के साथ वार्ता अब भी अधर में
चीन के साथ अमेरिका की व्यापार वार्ता को अभी भी अंतिम रूप नहीं मिला है. हालांकि, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिए हैं कि 12 अगस्त की समयसीमा को बढ़ाया जा सकता है, ताकि दोनों देश वार्ता के लिए अधिक समय पा सकें. डोनाल्ड ट्रंप ने भी इशारा किया है कि वह जल्द ही चीन की यात्रा कर सकते हैं. इससे संकेत मिलता है कि अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में एक नया दौर शुरू हो सकता है, लेकिन फिलहाल चीन को किसी राहत की उम्मीद नहीं है.
भारत पर 26% शुल्क का खतरा कायम
भारत की स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है. अमेरिका के साथ उसकी बातचीत कृषि क्षेत्र को लेकर अटकी हुई है, जो भारत का अत्यधिक संरक्षित क्षेत्र है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारत पर 26% आयात शुल्क का खतरा बना हुआ है. अप्रैल से अमेरिका में प्रवेश करने वाले अधिकतर उत्पादों पर 10% का आधार शुल्क पहले से लागू है, जिससे भारत जैसे देशों के निर्यातकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है.
दक्षिण कोरिया, म्यांमा और अन्य देश अब भी इंतजार में
अब तक दक्षिण कोरिया, थाइलैंड, म्यांमा और लाओस जैसे देशों को कोई व्यापारिक राहत नहीं मिली है. इनमें से दक्षिण कोरिया पर 25% और म्यांमा तथा लाओस पर 40% शुल्क प्रस्तावित है. इन देशों के साथ किसी समझौते की घोषणा न होना उन्हें आर्थिक असमंजस की स्थिति में डाल रहा है.
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ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और वैश्विक प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत व्यापार समझौतों में स्पष्ट रूप से भेदभाव दिख रहा है. जिन देशों ने अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ाया, उन्हें आंशिक छूट मिली, जबकि अन्य को अब भी ऊंचे शुल्कों का सामना करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की नीतियां एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं.
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