झारसुगड़ा में बायोडीजल बनाएगी वेदांता, अनिल अग्रवाल उठाने जा रहे बड़ा कदम

Vedanta: वेदांता लिमिटेड ने झारसुगुड़ा में बायोडीजल के उपयोग की संभावनाएं तलाशने की घोषणा की है. कंपनी 2030 तक अपने हल्के मोटर वाहन बेड़े को 100% कार्बन मुक्त बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है. इसके तहत, बायोडीजल और बायोमास ब्रिकेट्स जैसे नवीकरणीय ईंधनों को अपनाया जा रहा है. यह पहल पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास की दिशा में बड़ा कदम है. अनिल अग्रवाल की अगुवाई में वेदांता हरित ऊर्जा समाधान की ओर बढ़ रही है.

By KumarVishwat Sen | June 5, 2025 10:20 PM
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Vedanta: भारतीय खनन और धातु क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता लिमिटेड ने ओडिशा के झारसुगुड़ा टाउनशिप में वाणिज्यिक वाहनों में बायोडीजल के इस्तेमाल की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कंपनी ने इस पहल की घोषणा करते हुए बताया कि यह कदम 2030 तक अपने हल्के मोटर वाहनों को पूरी तरह कार्बन मुक्त बनाने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

स्वच्छ और नवीकरणीय ईंधन है बायोडीजल

बायोडीजल एक नवीकरणीय और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन है जिसे वनस्पति तेल, पशु वसा या इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल से तैयार किया जाता है. यह पारंपरिक डीजल की तुलना में कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम करता है. वेदांता ने इस ईंधन की व्यवहारिकता का एक प्रारंभिक परीक्षण पहले ही सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.

बायोमास ब्रिकेट का इस्तेमाल भी हुआ शुरू

वेदांता एल्युमीनियम ने इसके अलावा ओडिशा स्थित लांजीगढ़ एल्युमिना रिफाइनरी और छत्तीसगढ़ की बाल्को स्मेल्टर यूनिट में भी स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना शुरू कर दिया है. इन स्थानों पर अब कृषि अवशेषों से बने बायोमास ब्रिकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह ईंधन पारंपरिक कोयले का टिकाऊ विकल्प बनकर उभर रहा है, जो जैविक कचरे को संपीड़ित कर बनाया जाता है.

वेदांता की प्रतिबद्धता: पर्यावरण संरक्षण और नवाचार

वेदांता एल्युमीनियम के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) सुनील गुप्ता के अनुसार, कंपनी पर्यावरण की रक्षा के लिए दीर्घकालिक मूल्य निर्माण को प्राथमिकता दे रही है. उन्होंने कहा, “हम सामग्री की जिम्मेदार सोर्सिंग से लेकर ऊर्जा-कुशल विनिर्माण तक हर कदम पर पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता निभा रहे हैं.”

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वेदांता का रणनीतिक हरित पहल

यह हरित पहल वेदांता की उस दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत कंपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारी और उद्योग नवाचार दोनों में संतुलन बनाकर वैश्विक एल्युमिनियम क्षेत्र को एक नई दिशा देने का लक्ष्य रखती है. झारसुगुड़ा और अन्य इकाइयों में बायोडीजल और बायोमास ब्रिकेट का प्रयोग इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

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