Viral News: डोसा बेचकर बना मिनी करोड़पति, टैक्स का नाम तक नहीं, नौकरी में CTC देखने वाले रो पड़ेंगे

Viral News: सड़क किनारे डोसा बेचकर मिनी करोड़पति बना व्यक्ति, हर महीने लाखों की कमाई! टैक्स का नाम तक नहीं, नौकरीपेशा लोग CTC देखकर रह गए दंग

By Abhishek Pandey | March 2, 2025 11:56 AM
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Viral News: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जिसने भारत में टैक्स सिस्टम और आय असमानता पर बहस छेड़ दी है. सोशल मीडिया यूजर नवीन कोप्पाराम ने प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने एक स्ट्रीट फूड डोसा विक्रेता की मासिक आय को उजागर किया. इस पोस्ट के बाद वेतनभोगी कर्मचारियों और स्वरोजगार करने वालों के बीच TAX भुगतान को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं.

डोसा विक्रेता की आय और कर भुगतान पर सवाल

कोप्पाराम ने अपने पोस्ट में बताया कि उनके घर के पास एक स्ट्रीट फूड डोसा विक्रेता प्रतिदिन लगभग 20,000 रुपये कमाता है, जिससे उसकी मासिक आय 6 लाख रुपये तक हो जाती है. खर्चों को घटाने के बाद भी वह हर महीने 3 से 3.5 लाख रुपये की शुद्ध कमाई कर लेता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस कमाई पर वह कोई कर नहीं चुकाता, जबकि वेतनभोगी कर्मचारियों को अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा कर के रूप में देना पड़ता है.

वेतनभोगी कर्मचारी बनाम स्वरोजगार: कौन देता है अधिक कर?

कोप्पाराम ने इस पोस्ट में एक महत्वपूर्ण तुलना की. उन्होंने लिखा, “एक वेतनभोगी कर्मचारी, जो प्रति माह 60,000 रुपये कमाता है, उसे अपनी आय का लगभग 10% कर के रूप में चुकाना पड़ता है, जबकि डोसा विक्रेता को कोई कर नहीं देना पड़ता.” यह तुलना देखते ही देखते वायरल हो गई और लोगों में कराधान नीति को लेकर बहस छिड़ गई.

सोशल मीडिया पर आईं विभिन्न प्रतिक्रियाएं

इस पोस्ट पर सोशल मीडिया यूजर्स की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं.

  • एक यूजर ने सवाल उठाया, “डॉक्टर, वकील, चाय की दुकानें, गैरेज और अन्य छोटे व्यापारियों के बारे में क्या? वे महंगे विदेशी दौरे करते हैं, अपने घरों का नवीनीकरण कराते हैं और हर साल नई कार खरीदते हैं, लेकिन कोई कर नहीं चुकाते. यह कैसे संभव है?”
  • एक अन्य यूजर ने कहा, “स्वरोजगार करने वालों को कॉर्पोरेट बीमा नहीं मिलता, उन्हें कार/घर/बाइक ऋण लेने में कठिनाई होती है, पीएफ और सुनिश्चित आय जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं. इसके अलावा, वेतनभोगी कर्मचारी के मुकाबले वे अधिक जीएसटी का भुगतान करते हैं. अंग्रेजी बोलने वाले सोशल मीडिया यूजर्स को इस मुद्दे को एकतरफा नहीं देखना चाहिए.”

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