Wholesale Inflation: भारत में अप्रैल 2025 के महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर घटकर 0.85 प्रतिशत पर आ गई, जो कि मार्च 2025 में 2.45 प्रतिशत थी. यह जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों से सामने आई है. महंगाई में यह गिरावट विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में आई कमी के कारण देखी गई है.
India’s WPI-based inflation fell to 0.85% in April 2025 from 2.05% in March: Ministry of Commerce and Industry pic.twitter.com/qi6jXuhixT
— ANI (@ANI) May 14, 2025
कच्चे तेल और गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट
अप्रैल 2025 में कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में 5.31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 1.78 प्रतिशत की कमी देखी गई. इन दोनों घटकों में गिरावट ने WPI को नीचे लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
खनिज और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा
जहाँ कुछ वस्तुओं की कीमतें गिरीं, वहीं खनिजों की कीमतों में 7.81 प्रतिशत और खाद्य वस्तुओं में 0.36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. यह वृद्धि थोक महंगाई दर को कुछ हद तक सकारात्मक बनाए रखने का कारण बनी.
निर्माण क्षेत्र की लागत में वृद्धि
अप्रैल 2025 में सकारात्मक महंगाई दर का मुख्य कारण खाद्य उत्पादों, अन्य विनिर्माण वस्तुओं, रासायनिक उत्पादों, परिवहन उपकरणों और मशीनरी एवं उपकरणों के निर्माण की लागत में वृद्धि है. इन क्षेत्रों में कीमतें बढ़ने से महंगाई को ऊपर बनाए रखा गया.
प्राथमिक वस्तुओं का सूचकांक और ईंधन समूह में गिरावट
मासिक आधार पर प्राथमिक वस्तुओं का सूचकांक 184.6 से घटकर 184.4 हो गया, जो कि 0.11 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है. वहीं, ईंधन और ऊर्जा समूह में 2.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जिसका सूचकांक अप्रैल में 152.4 से गिरकर 148.1 रह गया.निर्मित वस्तुओं का सूचकांक मार्च के 144.4 से बढ़कर अप्रैल में 144.9 हो गया, यानी 0.35 प्रतिशत की वृद्धि. वहीं, फूड इंडेक्स, जो खाद्य वस्तुओं और खाद्य उत्पादों को मिलाकर तैयार होता है, मार्च के 188.8 से बढ़कर अप्रैल में 189.3 हो गया. हालांकि, WPI आधारित फूड इंडेक्स पर वार्षिक महंगाई दर मार्च के 4.66 प्रतिशत से घटकर अप्रैल में 2.55 प्रतिशत पर आ गई.
एक साल से बनी हुई है सकारात्मक थोक महंगाई
थोक महंगाई दर पिछले एक वर्ष से सकारात्मक क्षेत्र में बनी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि थोड़ी सी महंगाई उत्पादकों को प्रोत्साहित करती है, जिससे उत्पादन बढ़ता है और आपूर्ति बेहतर होती है. गौरतलब है कि अप्रैल 2024 में थोक महंगाई दर नकारात्मक हो गई थी. इसी प्रकार जुलाई 2020 में, जब कोविड-19 महामारी की शुरुआत हुई थी, तब भी WPI नकारात्मक दर्ज की गई थी. इसके विपरीत, सितंबर 2022 तक लगातार 18 महीने थोक महंगाई दर दो अंकों में बनी रही थी.
(इस खबर को साक्षी सिन्हा ने तैयार किया है. वे प्रभात खबर के साथ इंटर्नशिप कर रही हैं)
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