विश्वबैंक ने कहा कि महामारी की शुरुआत से किसी भी देश के मुकाबले सर्वाधिक भीषण लहर भारत में आई और इससे आर्थिक पुनरुद्धार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. वैश्विक संस्थान के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में 2020 में 7.3 फीसदी की गिरावट का अनुमान है, जबकि 2019 में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वर्ष 2023 में भारत की वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
विश्वबैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2021 में 5.6 फीसदी वृद्धि की संभावना है. अगर ऐसा होता तो है कि यह 80 साल में मंदी के बाद मजबूत वृद्धि होगी. इसमें कहा गया है कि भारत की जीडीपी में 2021-22 (अप्रैल-मार्च) में 8.3 फीसदी वृद्धि की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार, बुनियादी ढांचा, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य पर अधिक व्यय समेत नीतिगत समर्थन तथा सेवा एवं विनिर्माण में अपेक्षा से अधिक पुनरुद्धार से गतिविधियों में तेजी आएगी.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि पूर्वानुमान को 2.9 फीसदी अंक संशोधित कर ऊपर किया गया है, लेकिन कोविड-19 महामारी की भीषण दूसरी लहर तथा इसका रोकथाम के लिए मार्च 2021 से स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ से आर्थिक नुकसान पहुंचने की आशंका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से खपत और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि भरोसा पहले से कमजोर बना हुआ है और बही-खातों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि दर धीमी पड़कर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है. यह कोविड-19 के परिवार, कंपनियों और बैंकों के बही-खातों पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव को अभिव्यक्त करता है. इससे ग्राहकों का भरोसा और कमजोर होगा तथा रोजगार एवं आमदनी के मामले में अनिश्चितता बढ़ेगी.
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Posted by : Vishwat Sen
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