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प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर गिरी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर में 2.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. फ्यूल एंड पावर प्राइस इंडेक्स में 0.71 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स के प्राइस इंडेक्स में 0.21 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इसके नतीजे के तौर पर सभी कमोडिटी इंडेक्स में 0.85 फीसदी की गिरावट पिछले महीने के मुकाबले दर्ज की गई है.
9.38 प्रतिशत रही खाद्य वस्तुओं की महंगाई
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 9.38 प्रतिशत रही, जो नवंबर में 8.18 प्रतिशत थी. दिसंबर में सब्जियों की महंगाई दर 26.30 प्रतिशत, जबकि दालों की महंगाई दर 19.60 प्रतिशत थी. पिछले सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर के लिए खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई. भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को स्थिर रखा था. साथ ही नवंबर और दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिमों को चिह्नित किया था. हालांकि, आरबीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में महंगाई से मंदी का खतरा नहीं है. इसके साथ ही, अगले महीने रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक भी होने वाली है. उम्मीद की जा रही है कि इस बार शीर्ष बैंक रेपो रेट में परिवर्तन कर सकता है. बता दें कि बैंक के द्वारा साल 2023 में आखिरी बार रेपो रेट में बदलाव किया गया था.
आरबीआई जोखिमों को भी चिह्नित किया
केंद्रीय बैंक आम चुनाव के बाद अपनी नीतिगत दर और नकदी रणनीतियों पर निर्णय लेने के लिए नई सरकार के कामकाज पर नजर रखेगा. आरबीआई गवर्नर ने वित्तीय प्रणाली में जोखिमों को भी चिह्नित किया है. और इसे दूर करने के लिए मई, 2023 से बैंक के निदेशक मंडलों और उनके प्रबंधन के साथ बैठकें शुरू कीं. उन्होंने कहा था कि केंद्रीय बैंक के समय-समय पर निरीक्षण से कॉरपोरेट संचालन, मुनाफा बढ़ाने के लिए स्मार्ट अकाउंटिंग गतिविधियों और पुराने कर्ज को लौटाने के लिए नये कर्ज (लोन एवरग्रिनिंग) के स्तर पर खामियों का पता चला. केंद्रीय बैंक ने इसी महीने अधिसूचना जारी कर वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के जरिये पुराने ऋण को लौटाने के लिये नया कर्ज लेने की व्यवस्था पर लगाम लगाने को लेकर कदम उठाया है. इसके तहत बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) उस वैकल्पिक निवेश कोष की किसी भी योजना में निवेश नहीं कर सकतीं, जिसने वित्तीय संस्थान से पिछले 12 महीनों में कर्ज लेने वालों की कंपनी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निवेश कर रखा है.
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