New Education Policy: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन पर तेज गति से काम हो रहा है तथा इस साल सरस्वती पूजा (जनवरी के अंतिम सप्ताह तक) तक प्रारंभिक अवस्था, बालवाटिका से दूसरी कक्षा तक और पांच साल की नई शिक्षण एवं पठन पाठन सामग्री तथा पाठ्यपुस्तक आ जायेंगी.
नए पाठ्यक्रम की संरचना तैयार हो चुकी है
भुवनेश्वर में छठें राष्ट्रीय कला उत्सव, 2022 का उद्घाटन करते हुए प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नए पाठ्यक्रम की संरचना तैयार हो चुकी है. उन्होंने कहा कि इस सरस्वती पूजा तक प्रारंभिक अवस्था, बालवाटिका से कक्षा 2 तक तथा 5 साल की नई शिक्षण एवं पठन पाठन सामग्री और पाठ्यपुस्तक आ जायेंगी.
कला और संस्कृति को भी पाठ्यक्रम में लाने का काम
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ भारत की कला और संस्कृति को भी पाठ्यक्रम में लाने का काम किया जा रहा है. आने वाले समय में 21वीं सदी की जरूरत के अनुरूप, वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत, वैश्विक नागरिक बनाने वाली, 15 साल की पाठ्यपुस्तकें भी तैयार हो जाएंगी.’’
कला उत्सव का जिक्र करते हुए प्रधान ने कहा कि अगले 3 दिनों तक भारत के सभी प्रांतों से आए विद्यार्थी अपने-अपने क्षेत्रों की कला और संस्कृति को “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के इस विराट उत्सव में प्रदर्शित करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में कला और संस्कृति का अटूट रिश्ता रहा है.’’
कला, साहित्य और संस्कृति शिक्षा का एक अभिन्न अंग
मंत्री ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति शिक्षा का एक अभिन्न अंग है तथा इसे संस्थागत स्वरूप प्रदान करने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में राष्ट्रीय कला उत्सव की कल्पना की थी.
बच्चों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर भी मिलेगा
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं कला उत्सव 2022 के सर्वश्रेष्ठ 3 समूहों को दिल्ली आने का न्योता देता हूं. ये बच्चे 26 जनवरी की परेड देखेंगे और 27 जनवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा पे चर्चा (पीसीसी) 2023 के मंच पर होंगे तब इन बच्चों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर भी मिलेगा.’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कला उत्सव लघु भारत का स्वरूप है. भारत में जी20 का आयोजन हो रहा है . यह हमें भारत के मूलभूत विचारों को दिखाने का अवसर प्रदान कर रहा है. उन्होंने कहा कि कला उत्सव के मंच से वह सम्पूर्ण स्कूली व्यवस्था से भारत की विरासत को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने की अपील करते हैं.
प्रधान ने कहा कि अमृत काल में भारत का कायाकल्प हो रहा है. पराधीनता की निशानियों, विदेशी आक्रांताओं की प्रतिमूर्तियों की जगह नेताजी सुभाष जैसे भारत के नायकों की प्रतिमा लग रही है तथा कर्तव्य पथ बना है. उन्होंने कहा कि 2047 में विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने को लेकर नई पीढ़ी को इन्हें देखना चाहिए.
इनपुट-भाषा
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