IIT Success Story: मोटर मैकेनिक का बेटा पहुंचा IIT, इस हुनर ने बदल दी दुनिया, जानिए इमोशनल कर देने वाली ये कहानी 

IIT Success Story: कर्नाटक के सुशांत एन प्रभु की सक्सेस स्टोरी बड़ी दिलचस्प है. वे अपने पिता के साथ गैराज में काम करते हैं. वहां काम करते हुए उन्हें मशीनों में दिलचस्पी हुई और उन्होंने इंजीनियर बनने का फैसला किया. संसाधन की कमी और आर्थिक तंगी के बाद भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी.

By Shambhavi Shivani | July 5, 2025 4:30 PM
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IIT Success Story: अगर मन में लगन और समर्पण हो तो बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है. इसका ताजा उदाहरण है कर्नाटक के सुशांत एन. प्रभु (Sushant N Prabhu), जो पिता के साथ गैराज में काम करते थे और वहां से आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) तक का सफर तय किया. आइए, जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी- 

IIT Success Story: आईआईटी कानपुर से कर रहे हैं बीटेक 

सुशांत एन. प्रभु कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली तालुक के मेगारावली गांव के रहने वाले हैं. वे एक साधारण परिवार से आते हैं. सुशांत के पिता नरसिंहमूर्ति मोटरसाइकिल मैकेनिक हैं और उनकी मां सुजाता कपड़े सिलने का काम करती हैं. कम संसाधन के बावजूद सुशांत ने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी. उनके माता पिता भी चाहते थे कि वे अच्छी-से-अच्छी शिक्षा हासिल करें. अभी वे आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं.  

IIT Success Story: पहले ही प्रयास में हासिल की सफलता 

सुशांत ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने गांव के सरकारी स्कूल से की. पढ़ाई के साथ-साथ वे पिता के गैराज में भी काम किया करते थे. सुशांत ने SSLC परीक्षा में 625 में से 620 अंक हासिल किए. सुशांत ने बेंगलुरु स्थित राष्ट्रोत्थान परिषद के आवासीय विद्यालय से PUC की पढ़ाई की और यहीं से जेईई की तैयारी का मौका मिला. अपनी बेहतरीन प्रदर्शन से सुशांत ने प्रथम ही प्रयास में JEE परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. 

गैराज में काम करते हुए किया आविष्कार 

सुशांत बचपन से मेधावी थे. उन्होंने पिता के साथ गैराज में काम करते हुए बहुत कुछ सीखा. उनके इसी अनुभव ने उन्हें IIT पहुंचने की राह दिखाई. दरअसल, गैराज में काम करते हुए सुशांत को मशीन कैसे काम करता है, इसकी गहरी समझ हो गई. उन्होंने इसी अनुभव का इस्तेमाल करते हुए ‘सेल्प चेन एडजेस्टमेंट सिस्टम’ डिजाइन किया जो बाइक की चेन खुद से एडजस्ट कर सकता था. इस इनोवेशन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली और टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के इंस्पायर अवार्ड्स-मानक में उनके प्रोजेक्ट को प्रदर्शित होने का मौका मिला. 

यहां से मिली IIT में पहुंचने की प्रेरणा 

अपने इस प्रोजेक्ट के सिलसिले में सुशांत NIT सूरतकल पहुंचें, जहां उनकी मुलाकात राघवेंद्र ए. भट नाम के प्रोफेसर से हुई. इस शिक्षक ने सुशांत को IIT के बारे में बताया और यहां तक पहुंचने का रास्ता भी दिखाया. उन्होंने शिक्षक की बात को गंभीरता से लिया और जेईई परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. सुशांत डिग्री हासिल करने के लिए देश व समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं. 

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