NEET Success Story: कहते हैं, “मेहनत वो चाबी है जिससे किस्मत के बंद दरवाजे भी खोले जा सकते हैं”, और ये बात ओडिशा के मंगला मुदुली (Mangala Muduli) पर फिट बैठती है, जिसने नीट यूजी परीक्षा पास करके इतिहास रच दिया. मंगला मुदुली ने NEET UG 2024 में 261वीं रैंक हासिल की है. महज 19 साल के इस लड़के ने अपने पहले ही प्रयास में कम संसाधन के साथ यह सफलता पाई. वे सभी आदिवासी बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. आइए, जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी-
NEET UG Success Story: गांव में बीता बचपन
मुदुली ओडिशा के बोंडा जनजाति (Bonda Tribe Boy) से ताल्लुक रखते हैं. वे ओडिशा के मलकनगिरी जिले (Malkangiri District) के रहने वाले हैं. उनका परिवार बहुत साधारण है. मुदुली के परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई और एक बहन है. उनका परिवार मलकानगिरी जिले के गोविंदपल्ली ब्लॉक के मुदुलीपाड़ा पंचायत के अंतर्गत आने वाले बडबेल गांव में सीमित संसाधन में गुजर बसर करता है.
Bonda Tribe Boy Success Story: घर में उच्च शिक्षा का माहौल नहीं, भाई ने भी बीच में छोड़ी पढ़ाई
मंगला ने शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल से हासिल की. उनके बड़े भाई भी इसी स्कूल से पढ़ाई करते थे, लेकिन कुछ समय बाद स्कूल छोड़ दिया. मंगला जिस कम्युनिटी से आते हैं, उनमें स्कूल ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या ज्यादा होती है. मंगला के घर में भी उच्च शिक्षा का माहौल नहीं था. ऐसे में मंगला के लिए मेडिकल कॉलेज तक पहुंचने का सफर बहुत मुश्किल रहा.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ओडिशा में बोंडा जनजाति की साक्षरता दर मात्र 36.61% थी, जो राज्य के अन्य प्रमुख विशेष रूप से कमजोर आदिवासी ग्रुपों की तुलना में कम है.
NEET UG Success Story: शिक्षक ने किया प्रेरित
लेकिन वो कहते हैं न, “जब जीवन में अंधेरा छा जाता है, तभी ईश्वर किसी न किसी रूप में आशा की एक नई रोशनी दिखा देता है”. मंगला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. वो जब हायर सेकेंडरी स्कूल जाने लगे तो वहां उन्हें एक शिक्षक के रूप में आशा की किरण मिली, जिन्होंने उसे NEET UG परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया. साथ ही बालासोर के एक कोचिंग संस्थान में दाखिला दिला दिया. बस यहीं से मंगला की किस्मत ने पलटी मारी. 19 वर्षीय मुदुली कमजोर आदिवासी ग्रुप से NEET UG परीक्षा पास करने वाला पहला व्यक्ति बन गया है. मंगला MKCG मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं.
NEET UG Success Story: भाषा को रुकावटन नहीं बनने दिया
अपने एक इंटरव्यू में मंगला (Mangala Muduli) ने बताया कि पहले अटेंप्ट में नीट यूजी पास करके उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार को गौरवान्वित किया है बल्कि पूरा बोंडा समाज उनकी इस उपलब्धि से खुश है. उनके इस तरह पढ़ाई करने से बाकी के बच्चे भी प्रेरित होंगे और उनके अभिभावक भी उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे पास न इंटरनेट की सुविधा थी, न कोई स्मार्ट फोन और न कोई खास तकनीक तक मेरी पहुंच थी. हालांकि, मैंने किसी भी अभाव को अपने लिए असुविधा नहीं बनने दिया और रास्ते निकालता गया. NEET UG परीक्षा के लिए साइंस विषय को अंग्रेजी में पढ़ना जो मेरे लिए काफी कठिन था. शिक्षकों ने मेरे लिए अनुवाद किए. उन्होंने बाकी नीट अभ्यर्थियों को कहा कि कितनी भी मुश्किलें आए, मेहनत करना नहीं छोड़ें. बड़े सपनों के लिए बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है. साथ ही मोटिवेटेड रहें.
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