पिता से मिली प्रेरणा (Success Story of Mahmood Akram)
Linkedin की पोस्ट और रिपोर्ट्स के मुताबिक, महमूद का जन्म चेन्नई (भारत) में हुआ. उनके पिता शिल्बी मोजिप्प्रियन 16 भाषाओं की नाॅलेज रखते हैं. उन्होंने बचपन से ही महमूद को कई लिपियों और भाषाओं के बारे में बताया. महमूद ने 4 साल की उम्र में तमिल और अंग्रेजी सीखनी शुरू की और सिर्फ 6 दिन में अंग्रेजी में महारत हासिल कर ली.
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8 वर्ष की उम्र तक 50 भाषाएं सीखीं (Success Story in Hindi)
अकरम ने वट्टेलुट्टु, ग्रंथ और अन्य प्राचीन तमिल लिपियों को महज 6 साल की उम्र में समझ लिया था. वे न सिर्फ भाषाएं बोलते हैं बल्कि उन्हें लिखते और टाइप भी करते हैं. 8 साल की उम्र तक उन्होंने 50 भाषाएं सीख ली थीं. इसके लिए उन्होंने मेहनत, किताबों और Omniglot जैसी ऑनलाइन वेबसाइट्स का सहारा लिया.
Success Story of Mahmood Akram: वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
- 8 साल की उम्र में वे सबसे कम उम्र के बाइलिंगुअल टाइपिस्ट बने.
- 10 साल की उम्र में, उन्होंने भारत का राष्ट्रगान 20 भाषाओं में एक घंटे से कम समय में टाइप किया.
- दुनिया का दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड और जर्मन यंग टैलेंट अवॉर्ड भी मिला.
यहां से पढ़ाई (Success Story of Mahmood Akram)
अकरम को एक इंटरनेशनल टैलेंट शो में जीत मिलने के बाद ऑस्ट्रिया के डैन्यूब इंटरनेशनल स्कूल, वियना में स्कॉलरशिप मिली. आज वह भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) में एक साथ कई डिग्रियों की पढ़ाई कर रहे हैं. उनकी पसंदीदा भाषा अब भी तमिल है.
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Success Story: महमूद अकरम की उपलब्धियां
उम्र | उपलब्धि |
4 वर्ष | अंग्रेजी सीखी |
6 वर्ष | प्राचीन तमिल लिपियों में पारंगत |
8 वर्ष | 50 भाषाएं सीखीं |
8 वर्ष | पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड-सबसे कम उम्र के बाइलिंगुअल टाइपिस्ट |
10 वर्ष | दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड- 20 भाषाओं में राष्ट्रगान टाइप किया |
10+ | सम्मान-जर्मन यंग टैलेंट अवॉर्ड |
19 (वर्तमान) | उच्च शिक्षा-भारत और UK से डिग्रियां |
नोट- महमूद अकरम को भाषाओं की जानकारी की खबर Linkedin की पोस्ट और रिपोर्ट्स के मुताबिक दी गई है. प्रभात खबर की टीम ने इसमें खुद से कुछ नहीं जोड़ा है.