भवानी प्रसाद मिश्र का संक्षिप्त जीवन परिचय (Bhavani Prasad Mishra Biography in Hindi)
Bhavani Prasad Mishra Ka Jivan Parichay: प्रसिद्ध कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1913 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम सीताराम मिश्र और मां का नाम गोमती देवी था. कहा जाता है कि उनके पिता घर पर उन्हें रामायण का पाठ कराते थे और कविता सुनाते थे.
बचपन से लेखन की शुरुआत (Bhavani Prasad Mishra Biography in Hindi)
भवानी प्रसाद मिश्र को बचपन से ही साहित्यिक माहौल मिला था, जिससे उनका साहित्य के प्रति लगाव बढ़ा. उन्होंने बहुत ही कम उम्र में लेखन शुरू कर दिया था. बी.ए. की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात प्रसिद्ध साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी से हुई, जिनका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जागरण पर लिखने का काम शुरू किया.
‘कविता का गांधी’ (Bhavani Prasad Mishra Ka Jivan Parichay)
भवानी प्रसाद मिश्र गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे. वे गांधी जी के विचारों के समर्थक थे और युवावस्था से ही उनके विचारों पर काम कर रहे थे. उन्होंने एक स्कूल भी खोला और गांधी वाड्मय के हिंदी खंडों का संपादन किया. इसी कारण उन्हें ‘कविता का गांधी’ कहा गया. उन्होंने हिंदी साहित्य जगत में कई दशकों तक काव्य कृतियों का सृजन किया. 20 फरवरी 1985 को 71 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था.
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भवानी प्रसाद मिश्र की प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं? (Bhavani Prasad Mishra in Hindi)
भवानी प्रसाद मिश्र की प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं? (Bhawani Prasad Mishra Ki Rachnaye) इस प्रकार हैं-
कैटेगरी | काव्य-संग्र/पुस्तक |
काव्य-संग्रह | गीतफरोश, सतपुड़ा के जंगल, सन्नाटा, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, चकित है दुख, त्रिकाल संध्या, व्यक्तिगत, अनाथ तुम आते हो, इदं न मम, शरीर कविता, फसलें और फूल, मान सरोवर दिन, सम्प्रति |
निबंध | कुछ नीति कुछ राजनीति |
संस्मरण | जिन्होंने मुझे रचा |
बाल साहित्य | तुकों के खेल |
संपादन | सम्पूर्ण गांधी वाङमय, कल्पना (साप्ताहिक पत्रिका), विचार (साप्ताहिक पत्रिका), महात्मा गांधी की जय, समर्पण और साधना, गगनांचल. |
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भवानी प्रसाद मिश्र का साहित्यिक योगदान क्या है?
भवानी प्रसाद मिश्र (Bhavani Prasad Mishra) ने हिंदी साहित्य के छायावादोत्तर काल में प्रमुख रूप से कविताएं लिखीं. उनकी कविताओं में आम बोलचाल की भाषा का बहुत सुंदर इस्तेमाल था, जो कविता को सहज और सरल बनाता था. उनकी कविताएं लोक जीवन से गहरे जुड़े हुए थे, और यह उनके लेखन की खासियत थी.
भवानी प्रसाद मिश्र की भाषा शैली क्या थी?
भवानी प्रसाद मिश्र की लेखन शैली बहुत ही सरल, प्रवाहपूर्ण और प्रभावशाली है। उनकी कविताएं हिंदी की सहज लय में रची गई होती हैं. वे अपनी रचनाओं में गहरे भावों को बहुत साधारण तरीके से व्यक्त करते हैं, जिससे उनकी कविता में एक निश्छलता और अनुभव की गहराई महसूस होती है. उनकी कविताओं में बोलचाल की भाषा का खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है जो उन्हें आम लोगों से जुड़ा हुआ बनाता है.
भवानी प्रसाद मिश्र को कौन सा सम्मान मिला? (Bhavani Prasad Mishra in Hindi)
भवानी प्रसाद मिश्र को हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें शामिल हैं-
- पद्मश्री
- साहित्य अकादमी पुरस्कार– उन्हें यह पुरस्कार उनके काव्य-संग्रह ‘बुनी हुई रस्सी’ के लिए 1972 में मिला
मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान
- गालिब पुरस्कार.