General Knowledge: एक गोली, सौ सवाल! क्या सेना में भी देना होता है फायरिंग का पूरा हिसाब?

General Knowledge: भारतीय सेना में हर फायर किए गए हथियार का सटीक रिकॉर्ड रखा जाता है. जवानों को पुलिस की तरह एक-एक गोली का हिसाब देना होता है ताकि गोला-बारूद का दुरुपयोग न हो. जानिए सेना में फायरिंग से जुड़े नियम और जिम्मेदारियां.

By Pushpanjali | July 4, 2025 8:59 AM
an image

General Knowledge: भारतीय सेना को दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में गिना जाता है. ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सैन्य ताकत के मामले में 145 देशों में चौथे स्थान पर है. देश की थल सेना में करीब 22 लाख सैनिक, 4201 टैंक, 1.5 लाख से अधिक बख्तरबंद वाहन और कई आधुनिक हथियार मौजूद हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेना में पुलिस विभाग की तरह गोलियों का हिसाब रखा जाता है या नहीं.

क्या सेना को भी गोलियों का हिसाब देना होता है?

अक्सर फिल्मों में देखा जाता है कि सैनिक बिना रोक-टोक के गोलियां चलाते हैं, लेकिन हकीकत इससे अलग है. सेना में भी हर एक गोली का रिकॉर्ड रखा जाता है, बिल्कुल पुलिस की तरह. जवानों को बताना होता है कि कब, कहां, क्यों और कितनी गोलियां चलाई गईं.

गोलियों का रिकॉर्ड क्यों जरूरी होता है?

सेना में गोला-बारूद का इस्तेमाल बहुत ही सटीक और जिम्मेदारी के साथ होता है. इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि कहीं भी इसका दुरुपयोग न हो. फायरिंग के बाद जवानों से खाली कारतूस मांगे जाते हैं और रिपोर्ट तैयार की जाती है कि किस परिस्थिति में गोली चलाई गई.

Also Read: General Knowledge: एस्ट्रोनॉट्स का वजन अंतरिक्ष में क्यों हो जाता है कम? वजह जानकर चौंक जाएंगे

गोला-बारूद की चोरी है गंभीर अपराध

सेना में गोला-बारूद को राष्ट्रीय संपत्ति की तरह माना जाता है. इसका दुरुपयोग करना, छुपाना या चोरी करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. इसीलिए हर सैनिक को जिम्मेदारी के साथ हथियार और गोलियों का इस्तेमाल करना होता है. यही सेना की अनुशासन और पारदर्शिता की पहचान है.

Also Read: क्या BIHAR पहले भी बिहार था? ऐतिहासिक पहचान जानकर चौड़ी हो जाएगी छाती

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version