कस्तूरबा गांधी का संक्षिप्त जीवन परिचय (Kasturba Gandhi Biography in Hindi)
कस्तूरबा गांधी का जन्म 1869 में पोरबंदर में हुआ था. उनके पिता का नाम गोकुलदास था और उनके दो भाई थे. एक प्रमुख व्यापारी, उनके पिता अफ्रीका और मध्य पूर्व में अनाज और कपड़ा और कपास के बाजारों में काम करते थे और एक समय में पोरबंदर के मेयर थे. यह परिवार मोहनदास गांधी के पिता करमचंद के परिवार के साथ घनिष्ठ मित्र था. करमचंद पोरबंदर के दीवान थे और उनकी शादी पुतलीबाई से हुई थी. दोनों माता-पिता ने अपने बच्चों की शादी करके अपनी दोस्ती को मजबूत किया. बच्चों की सगाई 7 साल की उम्र में हुई और शादी 1882 में हुई जब वे 13 साल के थे.
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कस्तूरबा गांधी का योगदान (Kasturba Gandhi Jayanti 2025 in Hindi)
कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया. इसके अलावा महिलाओं की शिक्षा का समर्थन किया और स्वच्छता और समानता को बढ़ावा दिया. गांधी की सबसे करीबी साथी के रूप में, उन्होंने उनके सामाजिक विचारों को प्रभावित किया, खासकर जाति और अस्पृश्यता पर. कस्तूरबा ने उनके कारावास के दौरान विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व भी किया, जिससे वह न्याय और सुधार के लिए एक मजबूत आवाज बन गईं. गांधीजी जब इंग्लैंड में थे तो तब वे कई सालों और महीनों तक उनसे दूर रहीं. एक या दो छोटे बच्चों के साथ वे गांधी से लंबे समय तक दूर रहती थीं, खासकर जब वे इंग्लैंड और अफ्रीका की यात्रा पर जाते थे.
कस्तूरबा गांधी की मृत्यु कब हुई? (Kasturba Gandhi Death)
कस्तूरबा गांधी का निधन 22 फरवरी 1944 को 74 वर्ष की आयु में हुआ. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पुणे के आगा खान पैलेस में महात्मा गांधी के साथ कैद में रहते हुए उनकी मृत्यु हो गई. अपनी बीमारी के बावजूद उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन करना जारी रखा. उनकी मृत्यु राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति थी क्योंकि वह शक्ति और बलिदान का एक मजबूत स्तंभ थीं.
देशवासी इसलिए कहते थे ‘बा’ (Kasturba Gandhi Jayanti in Hindi)
कस्तूरबा गांधी सिर्फ महात्मा गांधी की पत्नी नहीं थीं बल्कि एक सच्ची देशभक्त भी थीं. उन्होंने अपनी इच्छा से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया. जब दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर अत्याचार हो रहा था तो सबसे पहले कस्तूरबा गांधी ने इसका विरोध किया. इसके लिए उन्हें तीन महीने की जेल भी हुई. जेल में वह दूसरों को प्रार्थना का महत्व बतातीं और दुखी लोगों की बातें सुनकर उन्हें सहारा देतीं. उनकी दयालुता और मां जैसी भावना के कारण लोग उन्हें प्यार से ‘बा’ कहने लगे.
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