Maithili Sharan Gupt Jayanti 2024: राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की आज जयंती है. मैथिलीशरण गुप्त का जन्म आज ही के दिन 3 अगस्त 1886 को उत्तर प्रदेश में झांसी के चिरगांव में हुआ था. आज के दिन को हर वर्ष ‘कवि दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
पढाई रह गई अधूरी
स्कूल में खेलकूद के प्रति ज्यादा दिलचस्पी और ध्यान देने के कारण पढ़ाई अधूरी ही रह गई. जिसके बाद उन्होंने घर में ही हिन्दी, बंगला, संस्कृत साहित्य का अध्ययन किया.
दद्दा नाम से संबोधित किया जाता था मैथिलीशरण गुप्त को
मैथिलीशरण गुप्त को हिन्दी साहित्य में खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं. उन्हें ‘दद्दा’ नाम से सम्बोधित किया जाता था.
मैथिलीशरण गुप्त का हिन्दी कविता के इतिहास में योगदान
ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को ज्यादा महत्व दिया जाता था. पर मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी रचनाओं में खड़ी बोली को माध्यम बनाया साथ ही उन्होंने अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास भी किया.
मैथिलीशरण गुप्त की अविस्मरणीय कविता
नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएं
रंग में भंग: 1909 ई.
जयद्रथवध: 1910 ई.
भारत भारती: 1912 ई.
किसान: 1917 ई.
शकुन्तला: 1923 ई.
पंचवटी: 1925 ई.
अनघ: 1925 ई.
हिन्दू: 1927 ई.
त्रिपथगा: 1928 ई.
शक्ति: 1928 ई.
गुरुकुल: 1929 ई.
विकट भट: 1929 ई.
साकेत: 1931 ई.
यशोधरा: 1933 ई.
द्वापर: 1936 ई.
सिद्धराज: 1936 ई.
नहुष: 1940 ई.
कुणालगीत: 1942 ई.
काबा और कर्बला: 1942 ई.
पृथ्वीपुत्र: 1950 ई.
प्रदक्षिणा: 1950 ई.
जयभारत: 1952 ई.
विष्णुप्रिया: 1957 ई.
अर्जन और विसर्जन: 1942 ई.
झंकार: 1929 ई
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